ओबीसी कोटे पर यूजीसी के निर्देश का विरोध

झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति ने केवल असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर ओबीसी को आरक्षण देने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश का विरोध किया है और इस बारे में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है।

कुलपति नंदकुमार यादव ‘इंदु’ ने मानव संसाधन विकास मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि यह सरकारी नीति का उल्लंघन है। कुलपति ने सवाल उठाया है कि क्या यूजीसी को सरकारी नीति से ऊपर कोई नियम बनाने का अधिकार है। पत्र में कहा गया है:

“भारत सरकार का आदेश इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के सभी स्तर के, सभी पदों पर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। इसमें असिस्टेंड प्रोफेसर, एससोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर के पदों में कोई भेद नहीं किया गया है। राष्ट्रीय नीति यही है कि अगर पद सीधे विज्ञापन के जरिए भरे जाने हैं, तो ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए।”

कुलपति ने अपने पत्र में यूजीसी के दो निर्देशों का हवाला दिया है। एक निर्देश 23 मार्च, 2016 को, और दूसरा 3 जून, 2016 को जारी हुआ था। इन निर्देशों में यूजीसी ने कहा है कि एससी और एसटी के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर से प्रोफेसर तक सभी पदों के लिए आरक्षण रहेगा, लेकिन ओबीसी का आरक्षण केवल एंट्री लेवल पर ही रहेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश के सभी 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को स्पीड पोस्ट के जरिए ये निर्देश जारी किए थे।
 
इस मामले पर कुछ महीने पहले काफी विवाद भी हुआ था। राष्ट्रीय जनता दल नेता लालू प्रसाद यादव ने आरोप लगाया था कि केंद्र, ओबीसी आरक्षण को खत्म करने में लगा है।

 यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारियों का भी कहना है कि 2007 में बनाए नियमों के अनुसार, ओबीसी कोटा केवल एंट्री लेवल पर ही दिया जा सकता है।

कुलपति प्रोफेसर यादव ने मानव संसाधन विकास मंत्री से अनुरोध किया है कि वे यूजीसी को इस बारे में तत्काल उचित निर्देश जारी करें और असंवैधानिक निर्देश वापस करने को कहें। उन्होंने कहा है कि जब तक सरकार इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लेती, तब तक विश्वविद्यालय एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ा सकती।

Trending

IN FOCUS

Related Articles

ALL STORIES

ALL STORIES