नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद सबसे ज्यादा फायदा जिन कंपनियों को होता है दिख रहा है उनमें मोबाइल भुगतान की सुविधा देने वाली अग्रणी कंपनी पेटीएम सबसे आगे है। लेकिन बढ़ते मुनाफे के साथ ही कंपनी में चीन के निवेश को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। आरएसएस से जुड़े स्वेदशी जागरण मंच ने कहा है कि वह अब पेटीएम और चाइनीज ऑनलाइन रिटेल कंपनी अलीबाबा ग्रुप के रिश्तों की 'स्टडी' करेगा।
आपको बता दें कि आरएसएस से जुड़ा स्वेदशी जागरण मंच चीनी उत्पाद और निवेश के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन चला रहा है। स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि वो पेटीएम और चीनी कंपनी अलीबाबा ग्रुप के बीच के संबंधों का अध्ययन कर रहा है।
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने इकनॉमिक्स टाइम्स अखबार से कहा, “हमने पेटीएम में चीनी हिस्सेदारी के बारे में कई रिपोर्ट पढ़ी है। अब हम नकद-मुक्त अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं तो हमें ये ध्यान रखना होगा कि भारतीयों का डाटा सुरक्षित रहे। किसी भी भारतीय कंपनी को किसी विदेशी कंपनी के साथ डाटा शेयर नहीं करना चाहिए। विदेशी निवेश को पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए।”
आठ नवंबर को जब पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की उसके बाद पेटीएम ने सभी प्रमुख अखबारों में पीएम मोदी की तस्वीर के साथ बड़े विज्ञापन छपवाए थे। जिसके बाद से इस कंपनी के चीनी स्वामित्व का मुद्दा चर्चा में है। अखबार के अनुसार अलीबाबा के ग्लोबल मैनेजिंग डायरेक्टर के गुरु गौरप्पन को पिछले महीने पेटीएम के बोर्ड में एडिशनल डायरेक्टर के तौर पर शामिल किया गया था।
माना जाता है कि अलीबाबा और उसकी सहयोगी कंपनी अलीपे की नोएडा स्थित पेटीएम में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है और अलीबाबा ग्रुप पेटीएम के माध्यम से भारतीय बाजार में पैर जमाना चाहता है। महाजन ने बताया कि एसजेएम के विशेषज्ञ पेटीएम का विशेष अध्ययन कर रहे हैं और संगठन की दिल्ली में होने वाली अगली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी। महाजन के अनुसार अध्ययन के नतीजे आ जाने के बाद वो इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से संपर्क करेंगे।
वहीं चीन की हिस्सेदारी को लेकर आलोचनाओं से घिरे पेटीएम के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय शेखर शर्मा ने कहा कि उनकी कंपनी उतनी ही भारतीय है जितनी मारुति। शर्मा ने कहा, “हम मारुति जितने ही भारतीय हैं। हम हर तरह से भारतीय हैं। कभी सरकार के नियंत्रण वाली मारुति की बड़ी हिस्सेदारी जापानी कार कंपनी सुजुकी मोटर कार्प के पास है। सुजुकी के पास मारुति की 56.21 प्रतिशत हिस्सेदारी है और यह इसकी एकमात्र प्रवर्तक है।”
गौरतलब है कि आरएसएस की आर्थिक इकाई स्वदेशी जागरण मंच ने हाल में कुरुक्षेत्र में हुए अपने सम्मेलन में चाइनीज सामानों के खिलाफ अगले साल जनवरी से एक साल का कैंपेन चलाने का फैसला किया है।
Courtesy: National Dastak