चंडीगढ़। गुजरात के ऊना कांड से लेकर भाजपा के अलग-अलग राज्यों में दलितों पर हो रहे अत्याचार बताते हैं कि बीजेपी शासित राज्यों में दलितों की क्या स्थिति है। पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दलित वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए दलित नेता व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला को प्रदेश की कमान सौंपी लेकिन पार्टी की दलितों के प्रति आकर्षण की यह योजना सफल नहीं हो पा रही है बल्कि उलटा दलित समुदाय के लोग आपस में ही उलझ गए हैं। प्रदेश भाजपा की तरफ से इस खींचतान को समाप्त करने के लिए कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण नेताओं के भीतर वैर-विरोध बढ़ता जा रहा है।
होशियारपुर लोकसभा सीट के तहत आते फगवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सोम प्रकाश तथा विजय सांपला के बीच गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है। जानकारी के अनुसार मंगलवार को विजय संकल्प यात्रा के दौरान भी दोनों गुटों की तरफ से एक-दूसरे पर खूब हमले किए गए।
सवाल यह पैदा हो रहा है कि भाजपा के एक दलित नेता जो वहां पर विधायक हैं, को साथ लेकर चलने की बजाय उनको उत्साहित किया जा रहा है जो फिलहाल न तो विधायक हैं और न ही पार्टी की तरफ से उन्हें उम्मीदवारी दी गई है। प्रदेश भाजपा की गलत नीतियों के कारण फगवाड़ा सीट पर दलित बनाम दलित वाली स्थिति पैदा हो रही है जोकि पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।
भगत चूनी लाल पंजाब में कैबिनेट मंत्री हैं तथा वह पिछले विधानसभा चुनाव में जालंधर जिले में भाजपा के नेताओं में सबसे अच्छे मार्जिन से जीते हैं। इस सीट पर भी विजय सांपला तथा भगत चूनी लाल के बीच तकरार रहती है। यही कारण है कि सांपला चाहते हैं कि इस सीट पर उनके किसी अपने खासमखास को टिकट मिल जाए।
इस सीट पर भी सांपला के करीबी कुछ लोगों ने उम्मीदवारी का दावा कर रखा है। बात दावे तक होती तो ठीक थी लेकिन जिस तरह की बातें भाजपा के वृद्ध नेता भगत चूनी लाल के बारे में की जा रही हैं उससे यह बात साफ है कि भाजपा पंजाब में दलित वर्ग को एकजुट रखने में असफल रही है तथा भाजपा का दलित वोट बैंक दलित नेताओं की गलतियों के कारण तार-तार हो रहा है। कुल मिलाकर दलित नेताओं को हराने के लिए दलित नेताओं को ही मैदान में उतारा जा रहा है।
पंजाब में दलित वर्ग की 5 सीटों में से तीसरी भोआ सीट पर भी दलित समुदाय में खींचतान पैदा की जा चुकी है। यहां से विधायक सीमा देवी की टिकट कटवाने के लिए राज्य के सत्तासीन दलित नेता के करीबी खींचतान कर रहे हैं। मैदान में कई अन्य लोगों को उतार कर उनके माध्यम से सीमा देवी की टिकट काटने का प्रयास किया जा रहा है। ऊपर से दिलचस्प बात यह है कि जिस प्रकार अपने ही विधायक के खिलाफ कुछ भाजपा के दलित नेता प्रचार कर हे हैं, उससे यह बात साफ है कि टिकट जिसे भी मिले पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा।
Courtesy: National Dastak