नई दिल्ली। आज नोटबंदी का 50वा दिन है, प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया था कि 50 दिन बाद नोटबंदी से तकलीफें दूर हो जाएंगी। मगर आज भी बैंकों व एटीएम में कैश की किल्लत बरकरार है।
नोटबंदी की घोषणा के वक्त देश में 15.4 लाख करोड़ रूपयों के 500 व 1000 रुपये के नोट प्रचलन में थे। इस राशि में से अब तक 14 लाख करोड़ की राशि के नोट बैंकों में जमा किए जा चुके हैं। तो ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के नोटबंदी के फैसले पर बड़ा सवाल खड़ा होता है।
सरकार का अनुमान था कि तीन लाख करोड़ रूपए तक के नोट काले धन के तौर पर बैंकों में जमा नहीं हो सकेंगे। मगर अब तक बैकों में जमा की गई राशि सरकार के अनुमान से कहीं ज़्यादा है। नोट वापसी अभी एक महीना और चलेगी। संभावना है कि प्रचलन में जितने भी पुराने नोट हैं वे सारे वापस आ जाएंगे।
इसका सीधा सा मतलब यह होगा कि या तो काले धन का आकलन ही गलत था या फिर नोट बंदी के बाद काला धन रखने वालों ने अलग अलग माध्यम से इसे सफेद बना दिया। वजह जो हो, ऐसा हुआ तो राजनीतिक और आर्थिक दोनों मोर्चो पर सरकार को जवाब देना पड़ेगा। विपक्षी दलों भी सरकार पर हमला तेज करने के फिराक में है वहीं वित्तीय स्तर पर भी सरकार कुछ फैसलों से चूक सकती है।
इस मुद्दे पर जेएनयू में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि उन्हें 11 लाख करोड़ रुपये की राशि के वापस सिस्टम में लौटने से कोई आश्चर्य नहीं हुआ है। काले धन को लेकर सरकार का आकलन हमेशा से गलत रहा है। उन्होंने कहा- 'मेरा अध्ययन कहता है कि भारत में जितना काला धन संचित होता है उसका बमुश्किल 1-2 फीसद ही नकदी में संचित रखा जाता है। जिसके पास काले धन के तौर पर नकदी थी उन्होंने जन धन खाते, चालू खाते, सोना व मकान खरीदने में लगा दिया है। इसके सबूत भी मिल रहे हैं।
Courtesy: National Dastak