पानीपत। नोटबंदी से देशभर में लोगों को बड़ी विकट स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। अब तक कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं तो कई लोग मौत के बाद भी अपने परिजनों के लिए अंतिम संस्कार के लिए पैसा नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसा ही मामला हरियाणा के पानीपत जिले से सामने आया है। यहां एक व्यक्ति की पत्नी की मौत हो गई और उसके पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे।
पत्नी की मौत के बाद जब उसने कई लोगों से मदद की गुहार लगाई तो किसी ने मदद नहीं की। इसके बाद वह अपने बैंक खाते में जमा पैसे निकालने बैंक की कतार में लग गया। सुबह दस बजे से तीन बजे तक वह बैंक लाइन में लगा रहा लेकिन उसे पैसे नहीं मिल पाए। बहुत जद्दोजहद के बाद पार्षद और मीडिया के सहयोग से उसे शाम चार बजे पैसे मिल पाए।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गुरुवार की सुबह 10 बजे राजेंद्र पांडे की 72 वर्षीय पत्नी चंद्रकला की कैंसर से मौत हो गई। पत्नी का अंतिम संस्कार करने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। ऐसे में वह पत्नी का शव घर में छोड़कर बैंक में जमा लगभग पांच हजार रुपये निकलवाने गया, लेकिन तीन बजे तक लाइन में लगने के बाद भी पैसे नहीं मिल पाए।
बिहार के गया जिले के गांव आदमपुर निवासी राजेंद्र पांडे 2001 में पानीपत आया था और कई साल यहां डाई हाउस में काम किया। मौजूदा समय में वह शिवनगर स्थित एक टैक्सटाइल फर्म में काम कर रहा है। शहर के राजनगर इलाके में वह किराये के मकान में पत्नी चंद्रकला के साथ रहता था। राजेंद्र के अनुसार उसकी पत्नी पिछले दस माह से काफी बीमार चल रही थी और बृहस्पतिवार सुबह उसकी मौत हो गई।
राजेंद्र ने बताया कि उसने अपने तीनों बेटों को मां की मौत की सूचना दी थी, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। उसने बताया कि उसका छोटा बेटा प्रमोद पानीपत में रहता है, जबकि बड़ा बेटा रंजीत नोएडा की एक फैक्टरी में कमा करता है।
राजेंद्र पांडे का बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता है और उसमें 5301 रुपये थे। पैसे निकलवाने के लिए वह बैंक के बाहर सुबह 10 बजे से कतार में लगा रहा, लेकिन तीन बजे तक वह पैसे नहीं निकाल सका। उसने बैंक के अधिकारियों से बात की, लेकिन उनको राजेंद्र पर तरस नहीं अाया। इसके बाद उसने इलाका पार्षद सुशील शर्मा से बैंक प्रबंधक के नाम पत्र भी लिखवाया, लेकिन बैंक में कोई सुनवाई नहीं हुई।
Courtesy: National Dastak