आरएसएस ने आखिरकार 90 साल बाद अपनी वर्दी में बदलाव कर ही लिया। विजयादशमी के मौके पर संघ के कार्यकर्ताओं ने पहली बार खाकी हाफ पेंट की जगह फुल पैंट पहना। राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालूप्रसाद यादव ने आरएसएस के इस बदलाव के लिए पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को श्रेय दिया है। राबड़ी देवी ने ही एक भाषण में आरएसएस के स्वयंसेवकों के लिए कहा था- “इन्हें संस्कृति का ज्ञान नहीं है। शर्म नहीं आती, बूढ़े-बूढ़े लोग हाफ पैंट में घूमते हैं।”
लालू प्रसाद यादव ने संघ स्वयंसेवकों को फुल पैंट पहनने पर मजबूर करने के लिए राबड़ी देवी को श्रेय देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है। श्री यादव ने फेसबुक पर लिखा है कि पैंट फुल करवाने के बाद इनकी सोच भी बदलवानी है और इनके हथियार भी डलवाना है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है- “अभी तो हमने हाफ पैंट को फुल करवाया है। माइंड को भी फुल करवाएंगे। पैंट ही नहीं सोच भी बदलवाएँगे। हथियार भी डलवाएंगे। ज़हर नहीं फैलाने देंगे।”
श्री यादव ने ट्वीट करके भी कहा कि हमने आरएसएस को फुल पैंट पहनवा दिया। राबड़ी देवी ने सही कहा था कि इन्हें संस्कृति का ज्ञान नहीं, शर्म नहीं आती, बूढ़े-बूढ़े लोग हाफ पैंट में घूमते हैं। लालू यादव ने कहा कि राबड़ी के बयान ने आरएसएस को अपने पहनावे में परिवर्तन करने पर बाध्य किया।
उल्लेखनीय है कि खाकी हाफ पैंट संघ की वर्दी में 90 साल से शामिल थी। संघ ने स्वयंसेवकों के लिए मोजों के रंग को बदलने की भी मंजूरी दे दी है और पुराने खाकी रंग की जगह गहरे भूरे रंग के मोजे इसमें शामिल हो गए हैं। परंपरागत रूप से शामिल दंड गणवेश काहिस्सा बना रहेगा। ठंड के मौसम में संगठन के स्वयंसेवक गहरे ब्राउन रंग का स्वेटर पहना करेंगे।
इस बारे में संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा विभिन्न मुद्दों पर संघ के साथ काम करने को लेकर समाज की स्वीकृति बढ़ती जारही है और सुविधा के स्तर को देखते हुए वेशभूषा में बदलाव किया गया है। यह परिवर्तन बदलते समय के अनुरूप ढलना दर्शाता है। श्री वैद्य ने कहा कि पहले 2009 में गणवेश में बदलाव का विचार किया गया था लेकिन तब यह काम नहीं हो सका था। 2015 में फिर से इस प्रस्ताव पर विचार हुआ और हाफ पैंट की जगह फुल पैंट लागू करने पर सहमति बनी।