राजनीति, मीडिया और बहुजन

आपमें से कुछ लोग पुरानी मैगज़ीन और अख़बारों की कतरन रखते होंगे। 2007 के विधानसभा चुनाव के ओपिनियन मेकिंग पोल पर नज़र डालिए।

एक नमूना यह रहा। ABP न्यूज, जिसका नाम तब स्टार न्यूज हुआ करता था, का ओपिनियन मेकिंग पोल देखिए।

तब भी मीडिया वाले यूपी में BJP की ही सरकार बनवा रहे थे।

उस चुनाव में BSP की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी।

वे नहीं सुधरेंगे।

उन्हें यक़ीन है कि आपकी याददाश्त ख़राब है।

एक ज़माने की बात है। यही कोई 27 दिसंबर का दिन होगा। साल 2016. आप भूल गए होंगे। पुरानी बात है।

सर्द सुबह। लोग सुबह सुबह रज़ाइयों से बाहर निकले। गली में कुत्ते भौंक रहे थे। चाय पीते हुए आपने अखबार का पहला पन्ना खोला। आपके घर पर आए सभी अख़बारों के पहले पन्ने पर छपी सबसे बड़ी ख़बर पढ़कर आप चौंक गए।

"बीएसपी ने अपने खाते में 104 करोड़ नक़दी जमा कराई, होगी जाँच, नोटबंदी की सबसे बड़ी कामयाबी, बेपर्दा हो गई बसपा…."
आपने सोचा – करप्शन कितना बढ़ गया है।

आपने टीवी खोला। सभी न्यूज चैनलों के एंकर ग़ुस्से में हाँफकर बता रहे थे कि बीएसपी करप्शन में पकड़ी गई।

फिर क्या हुआ?

अगर आपने सोचा था कि कोई केस दर्ज होगा, FIR होगी, कोई गिरफ़्तार होगा, तो आप ग़लत थे।

ऐसा कुछ नहीं हुआ।

दरअसल ऐसा कुछ होना ही नहीं था।
दरअसल यह ख़बर ही नहीं थी।

मामला सिर्फ इतना था कि नोटबंदी के बाद सभी दलों ने अपना पुराना कैश बैंक में जमा कराया। सबसे ज़्यादा बीजेपी ने। फिर कांग्रेस ने। बीएसपी ने भी कराया।
इन पैसों का 2017 के रिटर्न में सभी दल लेखाजोखा देंगे।

लेकिन यह सूचना, बीएसपी के मामले में, करप्शन की खबर के तौर पर छापी गई।

अखबार पढ़ने वालों और चैनल देखने वालों को पूछना चाहिए कि – हमें गधा समझ रखा है क्या?


 

अभी-अभी खबर मिल रही है कि फेसबुक पर bsp4bharat पेज को सस्पेंड कर दिया गया है. इस पेज के लगभग 65,000 फोलोअर हैं.

सरासर गलत बात है.

यह सिर्फ BSP की बात नहीं है. मुद्दा किसी एक पार्टी से बड़ा है.

फेसबुक के भारतीय दफ्तरों पर जाकर इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए क्योंकि फेसबुक इसकी कोई वजह नहीं बता रहा है. कोई वजह बताई जाए, तो पेज चलाने वाले उसे ठीक कर सकते हैं. ऐसे ही सस्पेंड

करना तो सही नहीं है.

फेसबुक 100% यूजर जनरेटेड कटेंट से चलता है. सारे विज्ञापन उसे इसी कटेंट से मिलते हैं. भारत से उसे अरबों रूपए की कमाई है.

यूजर के प्रति कोई जिम्मेदारी तो बनती है.
 

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