पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का विरोध करने में सबसे आगे रहने वाली राजस्थान सरकार हाईकोर्ट के आदेश के बावजदू स्थायी ओबीसी आयोग नहीं बना रही है। पिछले साल 10 अगस्त को हाईकोर्ट ने समता आंदोलन की याचिका पर फैसला देते हुए राजस्थान सरकार से कहा था। इसके बजाय उसने एक अस्थायी ओबीसी आयोग बनाया था जिसे राजस्थान हाईकोर्ट ने भंग करने के आदेश दिए हैं।
न्यायालय की डबल बैंच ने आज यह आदेश दिया। न्यायालय ने आयोग को भंग कर अध्यक्ष एवं सदस्यों का वेतन रोकने के आदेश दिए। गत वर्ष दस अगस्त को समता आंदोलन ने ओबीसी आयोग को वैधानिक रूप से गठित किये जाने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायालय ने चार महीनों में स्थाई ओबीसी आयाेग गठित करने का फैसला सुनाया। न्यायालय के आदेश के बावजूद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने स्थाई आयोग का गठन नहीं कियाए बल्कि अस्थाई आयोग बना दिया।
न्यायालय की अवमानना पर समता आंदोलन ने न्यायालय में रिट दायर करने पर न्यायालय ने फिर आठ सप्ताह का समय देते हुए स्थाई ओबीसी आयोग गठित करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न्यायालय ने इसी मामले में दो दिन पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक जैन को अवमानना के मामले में एक माह के वेतन को दान करने के आदेश दिए थे। श्री जैन ने वेतन दान कर उसकी रसीद भी पेश की। उल्लेखनीय है कि ओबीसी आयोग में अध्यक्ष और सदस्य सचिव समेत पांच सदस्य हैं।