नवरात्र चल रहा है। इस नवरात्र का हिन्दू धर्म में परम् महत्व और महात्म्य है। इस नवरात्र में असुरों का वध कर धरती को पाप मुक्त किया गया है सनातनपंथियो द्वारा।देवी दुर्गा ने महिषासुर को मारा, शुम्भ,निशुम्भ मारे गए।मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी ने राक्षस राज रावण,कुम्भकरण आदि को मारा।यह नवरात्र बहुत ही पवित्र पर्व और तिथि है। अब देखिये न ये राक्षस झारखण्ड में जमीन को लेकर युद्ध पर आमादा थे लिहाजा नवरात्र में रामराज्य लाने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी इन राक्षसों को छोड़ कैसे सकती है? वैसे 2 अक्टूबर शांति-अहिंसा के पुजारी पूज्य बापू का भी जन्मदिन है जो महानतम रामभक्त थे। अब बापू असली रामभक्त थे कि गोंडसे यह अलग विषय है लेकिन रामभक्त मोदी जी ने झारखण्ड के हजारीबाग में चिरूडीह कफ़न सत्याग्रह में 1 अक्टूबर को असुर जातियों को मरवाके बापू को भी अपनी अग्रिम श्रद्धांजलि अर्पित करवा ही दी। झारखण्ड में इन असुर कुल के आदिवासियों को वहां की सरकार ने मार गिराया है,7 असुर/आदिवासी/पिछड़े/दलित मार डाले गए हैं। देवी दुर्गा और राम जी का प्रताप इन आदिवासियों को एक बार फिर नेस्तनाबूद कर डाला है।सत्य की फिर जीत हुयी है,असत्य और पाप हजार वर्ष बाद फिर परास्त हो गया है।
झारखण्ड में ये आदिवासी/पिछड़े/दलित घमण्ड में चूर होकर जमीन पर हक जताने चले थे।उन्हें लग रहा था कि हजार वर्ष बाद वे असुर श्रेणी से बाहर आ गए हैं और सभ्य समाज के अंग हो गए हैं।उन्हें शायद यह भूल गया था कि वे जहां हक मांगने के लिए जा रहे हैं वे दुर्गा और राम के भक्त लोग हैं जिन्हें उन आदिवासियों की असलियत पता है।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मार्कण्डेय काटजू जी और ज्ञानसुधा मिश्र जी पहले ही एक फैसले में कह चुके हैं कि "इस देश के आदिवासियों को हजारो वर्ष पूर्व असुर,राक्षस,दानव कह मारा गया था और आज भी मारा जा रहा है जबकि इस देश के मूलनिवासी वे ही हैं।"ये असुर मारे जाने के लिए ही पैदा हुए या किये गए हैं।भगवान ने इन्हें इसी निमित्त बनाया है कि ये अधिकार बिपन्न रहें और जब अधिकार मांगे तो इन्हें मारके हम उस पंक्ति को चरितार्थ करें कि-
"जब-जब होहि धर्म की हानि,
बाढहि असुर अधम अभिमानी।
तब-तब धरि प्रभु बिबिध शरीरा,
हरहिं शोक सज्जन दुःख,पीड़ा।।"
झारखण्ड में वही हजार वर्ष पुरानी परम्परा नवरात्र में दुहरायी गयी है और जल,जंगल,जमीन से च्युत इन मूलनिवासी आदिवासियों को हक मांगने पर मौत के घाट उतार दिया गया है।ये अपने प्रिय मोदी जी राम जी के अनन्य अनुयायी और भक्त हैं।इन्हें रामराज्य लाना है।रामराज्य का मतलब ही "अच्छे दिन"होता है।तुलसी दास जी ने रामराज्य के अच्छे दिनों के बारे में कहा है कि
"दैहिक,दैविक,भौतिक तापा,
रामराज्य काहू नहिं ब्यापा।"
रामराज्य में किसी तरह का कष्ट नही होता है और जो किसी तरह का कष्ट पंहुचाता है,वही राक्षस है।ये आदिवासी वहां की रामराज्य वाली सरकार को घेर रहे थे,सत्याग्रह कर जमीन पर हक जता रहे थे जबकि इन असुरों को कोई अधिकार नही इन जमीनों पर इसलिए इनका वध जरूरी था।दुर्गा जी और रामजी के प्रताप से शुभ नवरात्र में भारतीय जनता पार्टी की रामराज्य वाली सरकार ने झारखण्ड में सत्याग्रही आदिवासी असुरो का वध कर झारखण्ड को सुरक्षित कर लिया है।
अब तो इस नवरात्र में मैं भी महिषासुर मर्दिनी दुर्गा जी की जय बोलूंगा ही,मर्यादा की रक्षा हेतु रावण वध करने वाले राम की जय बोलूंगा ही और राक्षस योनि के रावण और महिषासुर की कुल परम्परा के आदिवासियों का वध करने के लिए मोदी जी की जय बोलूंगा ही।
हम तो रामराज परिषद वालों के बारे में यही कहेंगे कि-
"हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम।
वो कत्ल भी करते हैं और चर्चा नही होती।।"
अब श्रद्धांजलि किसे अर्पित की जाय,महिषासुर को,रावण को,अभी-अभी कत्ल हुए झारखण्ड के आदिवासियों को या गांधी जी को?दुखद,घोर दुखद…
वरिष्ठ चिंतक