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राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राश्ट्रविरोधी भूमिका

राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा ने जो सबसे घिनौना काम किया है वह है महात्मा गांधी की हत्या। आज पूरी दुनिया में भारत की पहचान अगर किसी एक व्यक्ति से होती है तो वे महात्मा गांधी हैं जिन्हें दुनिया के तमाम कमजोर लोगों के दमनकारी षक्तियों के खिलाफ आंदोलन और पर्यावरण संरक्षण हेतु आंदोलन अपना आदर्ष मानते हैं। इस अपराध का कलंक राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कभी धो नहीं पाएगा भले ही नरेन्द्र मोदी उनके नाम पर स्वच्छता अभियान चलाएं अथवा दक्षिण अफ्रीका जाकर उस रेल से सफर करें जिससे गांधी जी को उतारा गया था। इतना ही नहीं राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़े लोग नाथूराम गोड़से का मंदिर बनाने की बात भी करते हैं। राश्ट्रपिता के हत्यारे के मंदिर से ज्यादा षर्मनाक बात देष के लिए क्या हो सकती है?

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Image: aseema.net.in
 
अपने आप को राश्ट्रवादी मानने-बताने वाले राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने न सिर्फ आजादी के संघर्श में कोई भूमिका नहीं निभाई बल्कि भगत सिंह व चंद्रषेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों की षहादत को त्रुटिपूर्ण बताया है।
 
मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव 1940 में पारित किया और सावरकर ने द्वि-राश्ट्र के सिद्धांत का समर्थन 1937 में ही कर दिया था। देष के विभाजन के लिए मुस्लिम लीग के साथ-साथ राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी जिम्मेदार है। 1947 में देष का भौतिक विभाजन हुआ, आज देष के अंदर लोगों के दिमागों में विभाजन पैदा किया जा रहा है। साम्प्रदयिक राजनीति का घुन देष को अंदर से खत्म किए दे रहा है।
 
देष में पहले श्रंखलाबद्ध बम धमाके मुम्बई में बाबरी मस्जिद ध्वंस की प्रतिक्रिया में हुए। इसके बाद ये सिलसिला जैसा बन गया जिसमें न सिर्फ मुस्लिम संगठनों ने आतंकी कार्यवाहियां कीं बल्कि पांच घटनाओं – दो बार मालेगांव, हैदराबाद, अजमेर षरीफ व समझौता एक्सप्रेस – में हिन्दुत्ववादी विचारधारा से जुड़े लोगों का हाथ है। इस प्रकार राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस देष में आतंकवाद को न्योता देने के लिए जिम्मेदार है। यदि बाबरी मस्जिद न गिरती तो इनमें से हुई बहुत सारी घटनाएं न होतीं। यह समझ से परे है कि अपने आप को राश्ट्रवादी बताने वाले लोगों, जिसमें सेना के भूतपूर्व अधिकारी भी हैं, ने देष के अंदर बम विस्फोट की घटनाओं को अंजाम दिया है। यह कैसा राश्ट्रवाद है?
 
हिंसा को राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी कार्यपद्धति का हिस्सा बनाया है। गांधी जी की हत्या, बाबरी मस्जिद ध्वंस के समय हिंसा, 2002 में गुजरात नरसंहार, उपर्युक्त पांच बम विस्फोट, मुजफ्फरनगर की साम्प्रदायिक हिंसा, तर्कवादियों दाभोलकर, पंसारे व कलबुर्गी की हत्याएं, मोहम्मद अखलाक की गोमांस खाने के षक पर हत्या, ऊना में चार दलित युवाओं की गोहत्या के षक पर सार्वजनिक पिटाई, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नजीब की पिटाई और फिर उसका गायब होना जैसी कितनी घटनाओं को संघ की विचारधारा को मानने वालों ने अंजाम देकर इस देष का महौल खराब किया है। आतंकवाद और नक्सलवाद को देष के लिए खतरा मानने वाला राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने लोगों द्वारा की गई हिंसा को न सिर्फ जायज ठहराता है बल्कि उसको गौरवान्वित भी करता है। आज राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देष में अल्पसंख्यकों, दलितों, महिलाओं, आदिवासियों व संघ की विचारधारा से असहमति रखने वालों के लिए एक असुरक्षा का माहौल खड़ा कर दिया है। देष में खुलेआम गुण्डागर्दी की संस्कृति, जिसे राज्य का संरक्षण प्राप्त है, को बढ़ावा दिया जा रहा है। भाजपा नेता पाकिस्तान के नेताओं को आतंकवाद का राक्षस न पालने की नसीहत देते हैं लेकिन अपने देष में वही काम कर रहे हैं।
 
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नाभिकीय परीक्षण कर परमाणु बम बनाने की घोशणा कर और नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अपने पड़ोसी देषों के साथ रिष्तों में तनाव पैदा कर देष को पहले से ज्यादा बाहर से भी असुरक्षित बना दिया है। उड़ी की घटना के बाद सर्जिकल धावा बोल ऐसा बताया गया कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे दिया गया है। किंतु अभी भी सीमा पर भारतीय सैनिकों का षहीद होना थमा नहीं है। सैनिकों की षहादत पर राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस देष में राश्ट्रवाद की राजनीति कर रहा है। जब सैनिक सीमा पर षहीद होते हैं तो भाजपा और अन्य हिन्दूत्ववादी संगठनों के कार्यकर्ता मोटरसाइकिलों पर तिरंगा, जो एक समय राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को स्वीकार न था, लेकर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाते फिरते हैं।
 
कभी स्वदेषी की बात करने वाले राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज नरेन्द्र मोदी को रक्षा क्षेत्र भी विदेषी पूंजी निवेष हेतु खोलने की इजाजत दे दी है।
 
देखा जाए तो राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने हरेक नारे के विपरीत काम किया है। वह बात करता है देषभक्ति की लेकिन देष के अंदर व बाहर असुरक्षा का माहौल निर्मित करता है, बात करता है देष को मजबूत बनाने की लेकिन साम्प्रदायिक राजनीति से देष को कमजोर करता है, बात करता है स्वेदषी की लेकिन बढ़ावा देता है विदेषी और कॉरपोरेट घरानों को, बात करता है षिक्षा के आधार पर काबिलियत की लेकिन उसके अपने लोगों का षिक्षा से नाता संदिग्ध है और संघ में समझदार लोगों की कमी है, बात करता है संस्कार की लेकिन उससे असहमत होने वालों की पिटाई से लेकर हत्या तक हो जाती है, बात करता है गोहत्या रोकने की लेकिन भाजपा सरकारों में गाय के मांस का निर्यात बढ़ जाता है, बात करता है हिन्दू एकता की लेकिन जातिवाद को बढ़ावा देता है जिससे दलितों का उत्पीड़न बढ़ जाता है।
 
राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस देष का जो सबसे बड़ा नुकसान किया है वह यह कि देष की आम जनता के मौलिक मुद्दों जैसे गरीबी, अषिक्षा, बिमारी, बेरोजगारी, बच्चों का कुपोशण, किसानों की आत्महत्या, भ्रश्टाचार, आदि से ध्यान हटाकर भावनात्मक मुद्दो पर केन्द्रित कर दिया है। अब देष के सबसे बड़े मुद्दे हो गए हैं सुरक्षा एवं पूंजी निवेष।
 
 

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