देश की राजनीति में अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए 1966 में जनसंघ ने गौहत्या विरोधी आंदोलन चलाया था जिसके अप्रत्याशित परिणाम जनसंघ को मिले थे।
1967 के लोक सभा चुनाव में जनसंघ ने अपनी सर्वाधिक 35 सीटें जीती थीं। अब उसी खुशी को मनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गौहत्या विरोधी आंदोलन की 50वीं सालगिरह मनाने जा रहा है।
पूर्व में 1990 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी रामरथ लेकर निकले थे जिसका उद्देश्य राम मंदिर को बनाना था। इस आंदोलन में हजारों लोगों की जाने गई थी लेकिन बीजेपी को इसका चुनावी फायदा मिला था।
उसी प्रकार जनसंघ ने 1966 में गौहत्या विरोधी आंदोलन को चलाकर सत्ता में अपनी जगह बनाई थी। इसमें भी असंख्य लोगों की जान गई थी। अब अपनी इसी उपलब्धि को राष्ट्रीय स्वयंसेवक सालगिरह के रूप में मनाएगा।
गौहत्या विरोधी आंदोलन की 50वीं सालगिरह के इस कार्यक्रम में आरएसएस के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी और दूसरे कई हिंदू संत भी मौजूद रहेंगे।
क्योंकि 1966 के आंदोलन का आरएसएस के लिए बेहद खास महत्व है। केन्द्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद से गौहत्या को लेकर बड़ी घटनाओं में तेजी दिखी है। किसी को भी गौहत्या के आरोप में पकड़कर मार देने की कई घटनाएं में बढ़ोत्तरी हुई है।
जनसत्ता की खबर के अनुसार, इसके अलावा हरियाणाए महाराष्ट्रए मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों में गौहत्या को लेकर कई घटनाएं दिखी। वैश्विक मीडिया में गौहत्याओं के नाम पर होने वाली गुंडागर्दी की निंदा पर चर्चाएं आम रही। बाद में पीएम मोदी ने भी अपने एक भाषण में गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को अपनी दुकान चलाने वाले असामाजिक तत्व कहा था।
अब देखना ये होगा कि गौरक्षा के नाम पर मनाई जाने वाली इस सालगिरह पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने कार्यकर्ताओ का क्या सदेंश देता है।
Courtesy: Janta Ka Reporter