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सबसे निचले स्तर पर पहुंचा नौकरियां पैदा करने का आंकड़ा, हालात देश में पैदा कर सकते हैं त्रासदी

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को आगाह किया कि नौकरियों के अवसर पैदा करने के विपरीत हालात देश में त्रासदी पैदा कर सकते हैं।

Pranab Mukherjee

शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि नौकरियां पैदा करने के आंकड़े पिछले सात वर्षों में सबसे निचले स्तर पर हैं और रोजगार के नए अवसर पैदा करना प्राथमिकता है।

संस्थानों में छात्रों के विरोध की घटनाओं का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को उच्च स्तर की पढ़ाई करने के लिए सद्भावपूर्ण और शांतिपूर्ण माहौल की जरूरत है।

उन्होंने संबंधित सरकारी विभागों से कहा कि वे इन शैक्षणिक नेतृत्वकर्ताओं की मदद करें। मुखर्जी ने कहा कि देश के संस्थानों को प्रतिभाओं के सहायक के तौर पर काम करना चाहिए।

 

उन्होंने कहा, ‘भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। नौजवानों की सर्वाधिक आबादी होने से हमारे पास निम्न निर्भरता अनुपात का फायदा उठाने की पूरी गुंजाइश है। अगर देश में पर्याप्त नौकरियां होंगी जो संतुष्टि, दोहन और संपूर्णता होगी। इसके विपरीत का माहौल देश में त्रासदी ला सकता है।’

भाषा की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति ने कहा, ‘युवाओं की नाराजगी और परेशानी अशांति और उथल-पुथल के रूप में सामने आती है। ऐसे हालात हमारे यहां पैदा नहीं होने दीजिए।

हमें बड़ी आबादी को अपनी ताकत में तब्दील करना होगा। इसके लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाने को प्राथकिमता है। साल 2015 में नौकरियां पैदा होने का आंकड़ा 1.5 लाख था जो पिछले सात वर्षों में सबसे कम है।’ उन्होंने कहा कि मशीनों के तेजी से चलन में आने के साथ हमें व्यापक बदलाव की ओर से ध्यान देना होगा।

Courtesy: Janta Ka Reporter
 

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