सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन बिल पास करके रघुवर सरकार ने आदिवासियों को ठगने का काम किया है

कल झारखंड के संपुर्ण विपक्ष द्वारा सीएनटी एसपीटी एक्ट संशोधन के विरोध में सरकार के खिलाफ शांति पुर्वक झारखंड बंद

CNT act-SPT act संशोधन का सच

इस एक्ट की धारा-71A में चालाकी की गयी है। अब कोई उद्योगपति यदि चाहे तो कहीं की भी जमीन सरकारी रेट पर सरकार से सीधे खरीद सकेगा। पहले उस उद्योगपति को झारखंडी जमीन मालिक से और ग्राम प्रधान से बात कर सौदा तय करना होता था। जाहिर है कि सभी रैयत उनकी शर्तों पर राजी नहीं होते होंगे,जिसकी वजह से उन उद्योगपतियों के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट या तो रुक जाते थे या फिर काफी देर से शुरू हो पाते थे। अब की नयी व्यवस्था में मान लीजिए कि अडानी-ग्रुप को अगर जमशेदपुर के बाहर जमीन चाहिए होगी तो वो सीधे सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग से संपर्क करेंगे और विभागीय अनुमति मिलने पर सरकार से एम ओ यू करेंगे। अब सरकार उक्त प्रोजेक्ट-स्थल की ज़मीन भू-स्वामी से अपनी शर्तों पर मौजूदा बाजार भाव पर अधिग्रहित कर लेगी। अब अगर उक्त उद्योगपति 05 साल तक उस जमीन को इस्तेमाल में नहीं लाता तो भू-स्वामी को बिना मुआवजा लौटाए जमीन वापस कर दी जायेगी।

ये तो हुई कानून और एक्ट-संशोधन की बात…जो कि निश्चित रूप से उद्योगपतियों को झारखण्ड में थोक के भाव में जमीन उपलब्ध करवाने के लिए बनाया गया है। आज तक झारखण्डी को कोई जमीन सरकार ने वापस नहीं की है क्योंकि इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल है। कई बड़े-बड़े भूखण्डों में उद्योग बंद होने के बाद पिछले पंद्रह सालों में जमीन कानून के मुताबिक मूल-मालिक को वापस नहीं की जा सकी है क्योंकि उद्योग और बैंकों के बीच के विवाद बरसों न्यायलय में खींचे रहते हैं। यही सबसे बड़ी समस्या है इस संशोधन में। जमीन वापसी की प्रक्रिया सरल बनाये बिना ये संशोधन गरीब आदिवासी का हक़ मारने वाला ही कहलायेगा।

कोर्ट के आदेश के बावजूद दखल दिहानी करवाए बिना सरकार की मंशा साफ प्रतीत नहीं होती ।


 

सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन बिल पास करके रघुवर सरकार ने झारखण्डियों को ठगने का काम किया है ,माननीय मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा झारखंड की भाषा-साहित्य, सभ्यता-संस्कृति ,परम्परा पर विकास के नाम पर शोषण करने का लाइसेंस 5% बाहरियों को देने का काम कर रही है

भाजपा सरकार झारखंड में गैर झारखण्डियों के लिए लगातार रोजगार के साथ साथ भुमि उपलब्ध करवाने की कानून बना कर थोप रही है ,पहले गलत स्थानीयता नीति और अब सीएनटी एसपीटी एक्ट संशोधन उसी का एेजेण्डा मात्र है ,सी•एन• टी• एक्ट और एस• पी• एक्ट संशोधन के बिना भी लालमटिया कोयला खदान, पचुवाड़ा कोयला खदान , धनबाद कोयला खदान,लोहरदग्‍गा बाक्साइट खदान,काॅपर माइंस जादूगोड़ा ,नोवामुण्डी ,गुवा लौह अयस्क सहित कई खदान झारखण्डियों के विकास के लिए ही तो खुले परंतु अब तक सरकार की गलत नीतियों के कारण झारखंडी केवल मजदूर बनकर रह गया है और गैर झारखंडी नेताओं की मिली भगत से अरबपति बन फल फुल रहे हैं ,विस्थापन पलायन प्रदूषण का दंश केवल झारखण्डियों को ही भुगतना पड़ रहा है

मसानजोड़ डैम , पंचेत डैम सहित कई डैम झारखण्डियों के विकास के लिए ही तो बने परंतु ना बिजली मिली ना रोजगार हिस्से में आया पलायन प्रदुषण विस्थापन परंतु रोजगार गैरझारखंडियों को ही मिला टाटा जमशेदपुर , हटिया जैसे नामी करखाना विकास के लिए ही तो बने हुआ क्या ? आदिवासी मूलवासियों का विस्थापन उसके बाद विनाश और बाहरी पुँजीपतियों का विकास।

कृषि योग्य भुमि झारखंड में केवल 24.34% है जिसमें 2%में ही सिंचाई की उपलब्धता है शेष क्षेत्रों को मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है जरा सोचिये भुमि ही नहीं बचेगा तो अनाज कहाँ उपजेगा ,पेट कैसे पलेगा किसान कर्ज के बोझ में दबा दिए जाऐंगे शोषण बढे़गा फल आपके सामने है हम आदिवासी मूलवासी कबतक अपने ही राज्य अपने ही गांव -घर में एकता के अभाव में शोषित होते रहेंगे जरा सोचिए ।जय झारखंड …


 

एसपीटी -एक्ट 1855

सर्वप्रथम भागलपुर एवं वीरभूम जिलो पर 1855 में लागू हुआ ।

1770 से पहले संथाल परगना नाम नहीं था इसे जंगलतरी नाम से जाना जाता था जिसमे मुख्यतः पहाड़िया जनजाति वासित थी जो मुग़ल काल से अंग्रजो तक लड़ती रही । यह लोग अंग्रेजो को भूमि कर नहीं देते थे और इसी की परिणीति पहाड़िया विद्रोह( झारखण्ड भूमि का प्रथम आदिवासी आंदोलन) था । जिसमे इन लोगो ने बन्दुक का सामना तीर कमान से किया ।

1815 से लेकर 1851 तक जंगलतरी में अंग्रजो ने खेती एवं जंगल साफ करने हेतु संथालों को प्रेरित किया जो अंग्रेजो को कर देते थे । अँग्रेजों ने रेलवे लगाने में कई गाँवों को उजाड़ना शुरु किया जिसके खिलाफ हूल आँदोलन सिद्धू कान्हू चाँद भैरव के द्वारा हुआ, जिस कारण 1815 से 1830 के बीच यह संथाल आबादी बहुत बड़ी और कही को बसाया गया जो माँझी का काम करने लगे ।

1853: सिदो-कान्हू की अगुवाई में अन्याय और शोषण के खिलाफ हजारों संथाल आदिवासियों ने तीर-धनुष उठाया था

अँग्रेजी सरकार ने झुकते हुए भुमि का स्वामित्व जनजातियों के लिए निर्धारित करते हुए उनके संरक्षण के लिए भूमि कानून संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम बनाया,इस तरह 1855 में संथाल परगना और एक्ट सामने आया ।

CNT 1908 एंड SPT 1855 जो मुख्यतः ट्राइब्स के लिये बने कानून थे उनमें आज़ादी के बाद अनुसूचित जाति एवं बिहार सरकार ने 1962 में OBC के लिये अनुछेद जोड़े । अतः आज यह दोनों कानून ST SC एवं OBC पर कुछ बदलाव के बाद लागू हुआ


#HulUlgulaan जोहार..!!! (साम-दाम-दंड-भेद, झारखण्डी…सब देख-समझ रही है)


 

हमारा परंपरा और जीवन शैली का
अभिन्न हिस्सा है तीर और कमान

आदिवासी परम्परा और विरासत से अनभिज्ञ झारखंड सरकार ने अब आदिवासी परंपरा पर ही हमला शुरू कर दिया है। एस पी कॉलेज दुमका की घटना इसका प्रमाण है। तिलका माँझी से बिरसा मुंडा तक जिस विरासत के लिए लड़े उसे ही भाजपा सरकार चुनौती दे रही है। आदिवासी लड़ेंगे और विरासत और माटी की रक्षा करेंगें।

सरकार काअजीब विरोधाभास है, जिनके लिए धनुरधारी राम पूजित है, वह धनुष रखने का विरोध करे. कही मानसिकता यह तो नहीं कि धनुष रखने का अधिकार सिर्फ राम को है, अर्जुन को है, एकलव्य को नहीं?


 

कल झारखंड के संपुर्ण विपक्ष द्वारा सीएनटी एसपीटी एक्ट संशोधन के विरोध में सरकार के खिलाफ शांति पुर्वक झारखंड बंद की अपील जेएमएम विधायक द्वारा जारी पत्र ,
बंद स्वत् सफल बनाएँ |


 

भाजपा विधायक #लक्ष्मण_टुडू और #रमेश_हांसदा का #बहिष्कार करेगा #माझी_महाल

फैसला | घाटशिला में माझी परगना महाल की आपात बैठक में बनी सहमति,
2 दिसंबर को आर्थिक नाकेबंदी

सिटी रिपोर्टर | जमशेदपुर
माझीपरगना महाल की आपात बैठक रविवार को देश परगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में हुई। इसमें फैसला लिया गया कि सीएनटी एक्ट के संशोधन में रघुवर सरकार का साथ देने वाले विधायकों को गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा।

घाटशिला के भाजपा विधायक लक्ष्मण टुडू और भाजपा नेता #रमेश_हांसदा का सामाजिक बहिष्कार (दोरबार) करने पर सहमति बनी। तय हुआ कि 4 दिसंबर को घाटशिला महाल बखूल में #लक्ष्मण_टुडू के बारे में सार्वजनिक एेलान होगा तो रमेश हांसदा के बारे में जुगसलाई तोरोफ परगना दसमत हांसदा द्वारा घोषणा की जाएगी।

सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में 2 दिसंबर को माझी परगना महाल ने आर्थिक नाकेबंदी करने का फैसला लिया है। इसके तहत खनिजों की ढुलाई रोकी जाएगी। ऐसे काम किए जाएंगे जिससे अर्थ तंत्र प्रभावित हो। यह भी तय हुआ कि सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने में ग्रामसभा द्वारा असहयोग किया जाएगा। सभी तोरोफ परगना अपने क्षेत्र के माझी बाबा संग इस मसले पर बैठक करेंगे। बैठक में मधु सोरेन, डी सी मुर्मू, सुखलाल हांसदा, दाखिन किस्कू, हरिपद मुर्मू, छोटाराय चंद्र हांसदा, चैतन कुमार किस्कू, टीका राम सोरेन, आनंद हांसदा, कृष्णा हांसदा, रामण हेंब्रम, लेदेन किस्कू, बहादुर सोरेन, लुदी राम मुर्मू, दिलीप कुमार हेंब्रम, शासनी हेंब्रम, दुर्गा चरण मुर्मू, लखन मार्डी, लखन किस्कू, सिरू मुर्मू, दुखूराम सोरेन, सोमा हेंब्रम, अर्जुन मुर्मू, कमला हांसदा, पुनता मुर्मू, ललिता मुर्मू, विनोद हांसदा आदि शामिल हुए।

तीन जनवरी को शक्ति प्रदर्शन

3 जनवरी को जयपाल सिंह जयंती पर संथाल आदिवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले माझी परगना महाल द्वारा शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा। करनडीह में महाजुटान होगा। बैठक में तय हुआ कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन को रोकने के लिए सभी ग्रामसभा द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल को पत्र भेजा जाएगा।

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