नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे है कि उसने 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर करने से पहले अपने करीबियों को आगाह कर दिया था और उन्होंने अपना सारा काला धन ठिकाने लगा दिया। केजरीवाल ने इसमें सबूत के तौर पर कहा कि कुछ बैंकों में जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने में खूब पैसा जमा किया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें शक पैदा होता है कि आखिर ये कौन लोग थे।
इस बात में कोई दो राय नही है कि सितंबर महीने में (2016) बैंकों में पिछले दो साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे ज्यादा पैसे जमा किये। आरबीआई के आंकड़ों की माने तो सितंबर महीने में (2016) में बैंकों ने कुल 102,08,290 करोड़ रूपये बैंकों में जमा किये जो कि अगस्त 2016 से 5.89 लाख करोड़ ज्यादा थे।
आरबीआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले दो सालों में बैंकों में जमा कुल राशि सितंबर 2016 में सबसे ज्यादा थी। इससे पहले बैंकों में जमा की गई राशि में उछाल साल 2015 में आया था। उस वक़्त बैंकों में 89,98030 करोड़ रूपये जमा हुए थे। यह जून 2015 की राशि से 1.99 लाख करोड़ ज्यादा थे।
ग्रोथ और डिपाजिट के लिहाज से देखें तो सितंबर 2016 में सबसे ज्यादा पैसे बैंकों में जमा किये गए। साल 2015 में सितंबर के ही महीने की बात करें तो उस वक़्त बैंकों में कुल 8997120 करोड़ जमा हुए यह 9.97 प्रतिशत की वृद्धि थी। यह महत्वपूर्ण है कि साल 2016 में यह ग्रोथ 13.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर है।
हालाँकि वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि सितंबर 2016 में बैंक डिपाजिट में आये उछाल का प्रमुख कारण सातवां वेतन आयोग है, जिसमे लोगों के खातों में बकाया राशि जमा की गई थी। कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सितंबर में जमा डिपाजिट की मात्रा पूर्ण रूप में सामान्य से ऊपर है। इंडिया रेटिंग्स के अर्थशास्त्री डीके पंत का ने कहा कि हालाँकि आईडीएस स्कीम से इसे जोड़ा जा सकता है लेकिन यह राशि चौकाने वाली है।
Courtesy: Hindi Cobrapost