नई दिल्ली। नोटबंदी को आज एक महीना पूरा हो चुका है। 30 दिन के अंतराल में सरकार ने कई तरह के वादे किए। सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे अपनी रैलियों में सराहते नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री शायद इस मुद्दे पर किसी भी तरह की क्रॉस क्वश्चनिंग की जरूरत नहीं समझते इसीलिए संसद में जाने से बच रहे हैं। प्रधानमंत्री की मौजूदगी को लेकर विपक्ष हंगामा कर रहा है, जिसके कारण संसद लगातार 17 दिन दिन से बाधित हो रही है। इससे देश का करोड़ों रुपया जाया हो रहा है। आरबीआई गवर्नर और सरकार नोटबंदी से हो रही परेशानी को शीघ्र ही खत्म होने का हवाला दे रहे हैं। वहीं खुद पार्लियामेंट में एटीएम में कैश की उपलब्धता की बातें झूठा साबित हो रही हैं। एटीएम में कैश की उपलब्धता की हकीकत को वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए बताने की कोशिश की है। पढ़िए….
हमारे मित्र, वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर साहनी ने अपनी पोस्ट में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के 90 फीसदी बैंक एटीएम में नकदी होने संबंधी बयान की पड़ताल अपने इलाके के एटीएम्स में नकदी की उपलब्धता से की है। मेरा मानना है कि जब वित्त मंत्री इस तरह की बात बोलते हैं तो रिजर्व बैंक के गवर्नर पीछे क्यों रहें। पता नहीं ये लोग किस दुनिया में रहते हैं। संसद भवन के अधिकतर एटीएम खाली रहते हैं। जब किसी में पैसा आता है, लंबी कतार लग जाती है।
रिजर्व बैंक के चारों ओर एक दो किमी के दायरे में दर्जनों एटीएम हैं, मेरा दावा नहीं अनुभव है कि दो तिहाई या तो बंद रहते हैं या उनमें पैसा नहीं होता। किसी एटीएम में पैसा होने की सूचना मिलते ही लोग दौड़ते भागते वहां पहुंच कर कतारबद्ध हो जाते हैं। बैंकों के अंदर भी नकदी का कमोबेस यही हाल है। अपना पैसा निकालने के लिए घंटों कतार में खड़े रहने और नंबर आ जाने के बाद भी गारंटी नहीं कि पैसा मिल जाएगा। टका सा जवाब मिलता है, कैश समाप्त हो गया है।
हम जहां रहते हैं, पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में, वहां पंजाब नेशनल बैंक की शाखा है, और उसका एटीएम भी। एटीएम प्राय: बंद रहता है। बैंक के दरवाजे के पास सुबह छह बजे से ही 30-40 स्त्री पुरुषों की कतार लग जाती है जो दिन चढ़ने के साथ और लंबी होती जाती है। यह नजारा हमें रोजाना सुबह की सैर के समय देखने को मिलता है। अफसोस है कि अरुण जेटली और उर्जित पटेल को यह सब नहीं दिख रहा। जेटली को जब संसद भवन के एटीएम का हाल नहीं दिखता तो, दिल्ली, एनसीआर और देश के अन्य हिस्सों का हाल कैसे दिखेगा। बहुत व्यस्त रहते हैं। संसद भवन में अपने चहेते पत्रकारों के साथ दुनिया जहान की बातें करने की व्यस्तता उन्हें चंद कदम दूर एटीएम का हाल जानने की फुरसत भी नहीं देती। खुदा खैर करे!
नोट बंदी के बाद घर में हजार, पांच सौ के नोटों की शक्ल में जमा गाढ़ी कमाई को सरकारी आदेश निर्देशों के तहत बैंक मे जमा करवाने, पुराने नोट बदलने तथा बैंक में जमा रकम का सरकार द्वारा निर्धारित हिस्सा निकालने के लिए बैंक के सामने लगी लम्बी कतारों में घंटों खड़े रहे और खड़े खड़े ही जान गंवा देनेवाले सत्तर अस्सी लोगों की मौत का जिम्मेदार-गुनहगार कौन है, जवाब में पक्ष-प्रतिपक्ष और इस देश की संसद मौन है।
Courtesy: National Dastak