आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
सादर प्रणाम,
आपका ध्यान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अनशन पर बैठे पीएचडी के छात्र दिलीप यादव की ओर ले जाना चाहूँगा जो वाइवा के अंकों को 100 से घटाये जाने की माँग पर अनशन पर बैठे हैं। क्योंकि वाइवा में वंचित वर्गों के छात्रों से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पक्षपात किया जाता है। दिलीप की स्थिति दिन-ब-दिन निरन्तर बेहद खराब होती जा रही है।
विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी उचित माँग को मानने के बजाय गैरजिम्मेवाराना रवैया अपनाए है। दिलीप के विरोध के पीछे मंशा उस अन्यायपूर्ण व्यवस्था को खत्म करना है जिसकी आड़ में मनुवादी व्यवस्था व प्रशासन वंचित, उपेक्षित, उत्पीड़ित, बहुजन एवं कमज़ोर वर्ग से आने वाले छात्रों के आगे बढ़ने के मार्ग को बाधित करती हैं। ऐसे छात्र अपने संघर्ष में अकेले नहीं खडे है बल्कि हज़ारो वर्षों से प्रताड़ित बहुजन वर्ग प्रबलता से उनके साथ है। यह सब जानते हैं कि HRD मंत्रालय एवं केंद्र सरकार संघ की मनुवादी एवं जातिवादी विचारधारा में विश्वास रखते हैं जिसके अनुसार पिछड़ों और दलितों पर सदियों से कोई अत्याचार हुआ ही नहीं और वर्तमान समय में उन्हें आरक्षण की व्यवस्था का पूरा पूरा लाभ मिल रहा है, जबकि ऐसा कतई नहीं है। आपके सत्तासीन होते ही दक्षिणपंथ उच्च शिक्षण संस्थाओं पर नए ऊर्जा के साथ एकाधिकार स्थापित करने को कुलबुला रहा है। ऐसी शक्तियों को केंद्र से सीधा समर्थन प्राप्त हो रहा है, यह भी किसी से छुपा नहीं है। मद्रास, हैदराबाद, जादवपुर और इलाहबाद विश्वविद्यालय और अब JNU में यही गन्दा खेल लम्बे समय से चल रहा है। बार-बार देश में रोहित वेमुला की भाँति प्रशासनिक देखरेख में, शीर्ष से संचालित, संघ द्वारा प्रायोजित हत्याएँ एकदम बन्द होनी चाहिए वरना अबकी बार बहुजन वर्ग के युवा अन्याय के विरुद्ध चुप नहीं बैठेंगे। युवाओं के भविष्य से खेलना एकदम बन्द हो अन्यथा देश व्यापी आंदोलन होगा। अगर दिलीप यादव को कुछ होता है तो उसका दोषी जेनयू प्रशासन, वीसी, मानव संसाधन मंत्री नहीं बल्कि आप भी उसके सांझेदार होंगे। ऐसा प्रतीत होता है वाइवा में 100 अंको का प्रावधान किसी के टैलेंट और मेरिट को आँकने के लिए नहीं बल्कि बहुजनों को eliminate करने का रास्ता है।
From the facebook post of Tejashwi Yadav