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भक्तों दा जवाब नहीं! गांधीजी का ‘विलोपन’: तीन ‘आसान’ किश्तों में !
..जो शख्स तुम से पहले यहाँ तख़्त नशीन था.... उसको भी खुदा होने पे इतना ही यकीन था - हबीब जालिब भक्तगणों का - अर्थात वही बिरादरी जो ढ़ाई साल से लगातार...