discrimation | SabrangIndia News Related to Human Rights Sat, 10 Sep 2016 07:07:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png discrimation | SabrangIndia 32 32 श्मशान तक की सुविधा नहीं दलितों को https://sabrangindia.in/samasaana-taka-kai-sauvaidhaa-nahain-dalaitaon-kao/ Sat, 10 Sep 2016 07:07:46 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/09/10/samasaana-taka-kai-sauvaidhaa-nahain-dalaitaon-kao/ दलितों पर होने वाले अत्याचारों से लेकर हर तरह के अपराध में अग्रणी मध्यप्रदेश में हालत ये हैं कि दलितों के लिए श्मशान तक की उचित व्यवस्था नहीं है और लोग अपने परिजनों की मृत्यु होने पर उनके शवों को खुले में दाह संस्कार करने पर मजबूर हैं। (Representational image) शाजापुर जिले में भिलवाड़िया गाँव […]

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दलितों पर होने वाले अत्याचारों से लेकर हर तरह के अपराध में अग्रणी मध्यप्रदेश में हालत ये हैं कि दलितों के लिए श्मशान तक की उचित व्यवस्था नहीं है और लोग अपने परिजनों की मृत्यु होने पर उनके शवों को खुले में दाह संस्कार करने पर मजबूर हैं।


(Representational image)

शाजापुर जिले में भिलवाड़िया गाँव जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर दूर है, लेकिन जातिभेद यहाँ पूरी तरह से हावी है। करीब 2000 की आबादी वाले इस गाँव में दलितों के लिए अलग और कथित उच्च जातियों के लिए अलग श्मशान है, लेकिन श्मशान में किसी तरह की व्यवस्था न होने के कारण दलित अपने परिजनों के शवों को बाहर ही जलाने पर मजबूर होते हैं।
 
गाँव के दलित बताते हैं कि श्मशान के नाम पर कुछ इलाका है, लेकिन वहाँ किसी तरह का कोई टिनशेड या चबूतरा नहीं है और खुले में ही दाह संस्कार करने पड़ते हैं। सवर्णों के श्मशान को इस्तेमाल करने की इन्हें अनुमति कभी रही नहीं।
 
इतना ही नहीं, श्मशान के रास्ते में नाला भी पड़ता है जो बारिश के मौसम में उफान पर आ जाता है। बारिश के मौसम में अर्थी को लेकर ही नाले में उतरकर दूसरी तरफ जाना पड़ता है। एक अन्य रास्ता भी है, लेकिन उस पर गाँव के प्रभावशाली लोग कब्जा किए हैं। अगस्त माह में भी ऐसा ही एक मामला हुआ था जब दलितों को सामान्य श्मशान इस्तेमाल करने से रोक दिया गया था।
 
दलितों की जाति बलाई के स्थानीय संगठन के मुखिया राधेश्याम मालवीय कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत अस्पृश्यता को अपराध माना गया है, लेकिन व्यवहार में इस पर कभी अमल नहीं हुआ।
 
गाँव के सरपंच दरबार सिंह वैसे तो दावा करते हैं कि दलितों को श्मशान के इस्तेमाल से कभी रोका नही गया, लेकिन वे यह भी कहते हैं कि उनके लिए अलग से श्मशान है तो। भेदभाव की समस्या को वे मानते भी हैं लेकिन साथ ही यह भी कहते हैं कि यह सब तो आजादी के समय से चला आ रहा है। वैसे ग्राम पंचायत को अभी 12 लाख रुपए मिले हैं और सरपंच का कहना है कि अब दलितों के श्मशान की दिक्कतें दूर कर दी जाएँगी।
 
शाजापुर के विधायक अरुण भीमवाड़ कहते हैं कि वे कई बार भिलवाड़िया जाते रहते हैं, लेकिन सरपंच ने या किसी और ने कभी इस समस्या के बारे में नहीं बताया।

हाल ही में कार्यभार संभालने वाली जिला कलेक्टर अलका श्रीवास्तव ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि वे जल्द ही मामले की जानकारी लेंगी।

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