Firing | SabrangIndia News Related to Human Rights Mon, 03 Feb 2020 11:41:58 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png Firing | SabrangIndia 32 32 Election Commission fires Delhi DCP Chinmoy Biswal https://sabrangindia.in/election-commission-fires-delhi-dcp-chinmoy-biswal/ Mon, 03 Feb 2020 11:41:58 +0000 http://localhost/sabrangv4/2020/02/03/election-commission-fires-delhi-dcp-chinmoy-biswal/ The action by the EC came after repeated incidents of shootings at CAA protesters in the capital

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Shaheen baug

Image Courtesy: ANI

Post the back-to-back firings on protesters  agitating against the Citizenship Amendment Act (CAA) at Jamia Millia Islamia University (JMIU)and Shaheen Bagh, the Election Commission has removed deputy commissioner of police, South-East Delhi, Chinmoy Biswal from his post.

The Election Commission said in a statement, “Chinmoy Biswal IPS (2008), DCP (South-East) stands relieved from his present post with immediate effect and shall report to MHA [ministry of home affairs].”

Citing “the ongoing situation” the poll body stated it has directed senior officer Kumar Gyanesh to take charge as the interim deputy commissioner of police. “The Ministry of Home Affairs or Delhi Commissioner of Police may, however, immediately send a panel of three names to the EC for posting a suitable officer as the regular DCP (South-East),” it added.

NDTV reported that sources in the poll body said that it had received a report on the law and order situation in the area on Sunday and it wasn’t satisfied with the steps taken by Mr. Biswal for the conduct of free and fair elections. Biswal had also been criticized for entering the Jamia campus and lathi-charging the students after the clashes between the police and anti-CAA protestors outside the campus.

Over the past week, the security situation in Delhi has worsened after a gunman shouting slogans of “Yeh lo azaadi!” shot at a student protester near Jamia on Thursday and another gunman, Kapil Gurjar, opened fire at Shaheen Bagh, where a women-led protest has been on for more than a month.

These attacks have come close on the heels of provocative slogans like by BJP leaders asking for the “traitors” (protesters of CAA) to be shot and the Delhi police’s inaction, especially in the Jamia firing incident has come into question.

Even before this, the Delhi police has used excessive force on the students of Jamia on December 15, 2019, where it entered the campus without permission from the University officials and fired tear gas shells at the student protesters and beat them up with lathis. The attack by the police had left several students injured and they had to be hospitalised.

The Delhi police was also accused of blatant apathy in the case of the attack on the students and faculty of Jawaharlal Nehru University (JNU) by masked goons on January 5 this year, apart from being called out for lending its support to the mob that was attacking the students.

The Delhi police falls under the purview of the Central government and Delhi CM Arvind Kejriwal had questioned Union Home Minister Amit Shah regarding the recent shootings.

https://twitter.com/ArvindKejriwal/status/1223584681028997121

In response, Yogi Adityanath, the CM of Uttar Pradesh who was campaigning for BJP for the Delhi Elections there, said, “Enemies of India, who speak the language of Pakistan, are creating disorder by protesting everywhere. Protests against CAA and a Pakistani minister releasing a statement in favour of Kejriwal, it all looks linked.”

With the Delhi Elections commencing soon, the shootings and the rising protests against the CAA have become a major poll issue. In the matter, BJP’s Anurag Thakur and Parvesh Verma were banned from campaigning for their communally charged hate speech.

Related:

Imminent threat to lives of Shaheen Bagh protesters?
Another shooting at Jamia

Stop armed attacks on peaceful protesters: CJP and AIUFWP   

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हजारीबाग में एनटीपीसी परियोजना का विरोध कर रहे किसानों को गोलियों से भूना https://sabrangindia.in/hajaaraibaaga-maen-enataipaisai-paraiyaojanaa-kaa-vairaodha-kara-rahae-kaisaanaon-kao/ Thu, 06 Oct 2016 07:57:42 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/06/hajaaraibaaga-maen-enataipaisai-paraiyaojanaa-kaa-vairaodha-kara-rahae-kaisaanaon-kao/ झारखंड के बड़कागांव में एनटीपीसी की ओर से अवैध जमीन अधिग्रहण ने बीजेपी शासित झारखंड की पुलिस और मोदी सरकार की नापाक गठजोड़ की पोल खोल दी है। सरकार ने एनटीपीसी की परियोजना के लिए जमीन जबरदस्ती हथिया ली है। जबकि कानून के मुताबिक यह जमीन ग्राम सभा की अनुमति के बगैर नहीं ली जा […]

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झारखंड के बड़कागांव में एनटीपीसी की ओर से अवैध जमीन अधिग्रहण ने बीजेपी शासित झारखंड की पुलिस और मोदी सरकार की नापाक गठजोड़ की पोल खोल दी है। सरकार ने एनटीपीसी की परियोजना के लिए जमीन जबरदस्ती हथिया ली है। जबकि कानून के मुताबिक यह जमीन ग्राम सभा की अनुमति के बगैर नहीं ली जा सकती।

Police firing on Jharkhand Tribals

बड़कागांव में एनटीपीसी की परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों और उनके प्रतिनिधियों ने सबरंगइंडिया से कहा कि जान दे देंगे लेकिन अपनी खेती की जमीन नहीं देंगे। उनका कहना है कि ग्राम सभा, परियोजना के जमीन अधिग्रहण के बिल्कुल खिलाफ है।

इस जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने 1 अक्टूबर को सुबह चार बजे और साढ़े छह बजे के बीच फायरिंग की। फायरिंग में पांच आदिवासी किसानों की मौत हो गई। सरकार ने चार लाशों को पेश किया है लेकिन अभी भी तीन किसानों की लाशों का पता नहीं चल पा रहा है। पूरे इलाके को सशस्त्र पुलिस की सात बटालियनों, रैपिड एक्शन फोर्स और अदर्धसैनिक बलों ने घेर रखा है। धारा 144 लागू है और इलाके में क्या हो रहा है उसका बाहर से कुछ पता नहीं चल रहा है। झारखंड के हजारीबाग जिले के इस इलाके में इमरजेंसी की स्थिति है।

झारखंड नागरिक प्रयास और झारखंड अल्टरनेटिव डेवलपमेंट फोरम रांची के संयोजक पी पी वर्मा ने सबरंगइंडिया से एक बातचीत में इस क्रूर पुलिस फायरिंग की कड़ी निंदा की है और बड़कागांव के किसानों के संघर्ष में साथ देने का वादा किया है।  वर्मा कहते हैं कि झारखंडी इस दमनकारी शासन के खिलाफ संघर्ष में किसानों का साथ देने में पीछे नहीं हटेंगे। पुलिस फायरिंग की जितनी भी निंदा की जाए, कम है। जो सरकार अपने ही निहत्थे किसानों पर गोलियां चलवाएं उसे सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।

सरकार को अब यह समझ लेना चाहिए कि किसानों से जोर-जबरदस्ती कर उनकी जमीन नहीं ली जा सकती। किसानों की उपजाऊ जमीन पर बिजली प्लांट के लिए कोई जगह नहीं है। इस तरह की जमीनों पर बिजली संयंत्र स्थापित करना टिकाऊ विकास की नजीर भी नहीं है।

जमीन अधिग्रहण का विरोध करने वालों का कहना है कि इस लड़ाई में जीत आखिरकार ग्राम सभा की ही होगी और एनटीपीसी को बोरिया-बिस्तर समेट कर भागने को मजबूर होना पड़ेगा। एनटीपीसी ने बिजली उत्पादन के लिए जरूरी कोयला खदानों के लिए जिन जमीनों का अधिग्रहण किया है, किसान उसका विरोध कर रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी का इरादा झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की कर्णपुरा घाटी में कोयला खनन शुरू करने का है। यह पूरा इलाका 47 वर्ग किलोमीटर में है।

परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण 2004 में हुआ था और लेकिन एशिया के सबसे बड़े कोल ब्लॉकों में से एक माने जाने वाले इस खदान में कोयला खनन का काम धीमा रहा  है। यहां के आम नागरिक और किसान कोयला खनन के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हैं। दरअसल कोयला उनकी उपजाऊ जमीन से निकाला जाना है। साल में यहां तीन फसलें होती हैं और खेती से कम से कम 300 करोड़ रुपये की कमाई होती। है।

एनटीपीसी ने वन विभाग से 2500 एकड़ जमीन लेने के बाद इस साल काम शुरू किया। परियोजना के लिए कुल 17000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है। वन अधिकार कानून, 2006 के मुताबिक जब तक ग्राम सभा के 70 फीसदी सदस्यों की मंजूरी नहीं मिल जाती तब तक कोई परियोजना शुरू नहीं हो सकती। प्रशासन को अभी इसमें सफलता नहीं मिली है।
 
बैकग्राउंड
भारत सरकार ने 1 अक्टूबर 2004 में एनटीपीसी को हजारीबाग को पाकड़ी बरवाडीह कोल ब्लॉक आवंटित किया था। यहां की खदानों में 1600 मिलियन टन कोयला होने का अनुमान है। पूरा इलाका 12000 एकड़ में है। इसमें 40 गांव और 2500 एकड़ वन भूमि पड़ती है। आज से 12 साल पहले जिन किसानों की जमीन इस परियोजना के तहत आई थी, उन्होंने इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन शुरू किया था। जमीन बहुफसली और उपजाऊ थी और किसानों की जीविका की एक मात्र साधन। किसान किसी भी कीमत पर जमीन देने के लिए तैयार नहीं थे।

छह जनवरी, 2007 को सरकार ने ऐलान किया कि उस दिन सुबह 11 बजे इस मामले पर जन सुनवाई होगी। लेकिन घोषणा के उलट प्रशासन ने चोरी-छिपे इसके एक दिन पहले ही रात 11 बजे जन सुनवाई की रस्म-अदायगी कर डाली। जब किसानों को पता चला तो कुछ इस गैरकानूनी जनवाई में आ पहुंचे और उन्होंने प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण का जोरदार विरोध किया। और जैसा कि होना था, किसानों के खिलाफ इस विरोध के आरोप में झूठे मुकदमे लाद दिए गए। इसके बाद प्रशासन ने यह दिखा दिया कि किसानों ने जमीन अधिग्रहण की सहमति  दे दी है। इसके बाद विरोध कर रहे किसानों को प्रताड़ित किया जाता रहा।

इसके बाद एक दिलचस्प घटना घटी। 23 जून, 2011 को चट्टी बरियातू कोल ब्लॉक का आवंटन सरकार ने रद्द कर दिया। लेकिन नवंबर, 2011 को हजारीबाग जिला प्रशासन ने इस कथित कोल ब्लॉक को एनटीपीसी को लौटा दिया। 

2013 के जमीन अधिग्रहण के तहत जमीन अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा के 70 फीसदी लोगों की मंजूरी जरूरी है। इस नियम का पालन नहीं हुआ। वन अधिकार कानून 2006 के तहत की शर्तों का भी पालन एनटीपीसी ने नहीं किया।

इस बीच, 2016 में अचानक एनटीपीसी ने दावा किया कि उसने 3000 एकड़ वन भूमि और किसानों की 435 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया है और अब वह वन भूमि के दायरे में आने वाली जमीन पर कोयला खनन शुरू करेगी। एनटीपीसी का दावा सामने आते ही कुछ किसानों और स्थानीय नेताओं ने खनन कार्य का विरोध शुरू कर दिया। प्रशासन ने तुरंत कुछ किसानों और नेताओं को जेल में डाल दिया और उन्हें दो महीने तक बंद रखा। इन लोगों के खिलाफ अब भी अदालत में फौजदारी के मुकदमे चल रहे हैं।

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रामराज्य लाने के लिए झारखण्ड में 7 ‘राक्षस’ मारे गए https://sabrangindia.in/raamaraajaya-laanae-kae-laie-jhaarakhanada-maen-7-raakasasa-maarae-gae/ Mon, 03 Oct 2016 12:17:10 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/03/raamaraajaya-laanae-kae-laie-jhaarakhanada-maen-7-raakasasa-maarae-gae/ नवरात्र चल रहा है। इस नवरात्र का हिन्दू धर्म में परम् महत्व और महात्म्य है। इस नवरात्र में असुरों का वध कर धरती को पाप मुक्त किया गया है सनातनपंथियो द्वारा।देवी दुर्गा ने महिषासुर को मारा, शुम्भ,निशुम्भ मारे गए।मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी ने राक्षस राज रावण,कुम्भकरण आदि को मारा।यह नवरात्र बहुत ही पवित्र पर्व और […]

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नवरात्र चल रहा है। इस नवरात्र का हिन्दू धर्म में परम् महत्व और महात्म्य है। इस नवरात्र में असुरों का वध कर धरती को पाप मुक्त किया गया है सनातनपंथियो द्वारा।देवी दुर्गा ने महिषासुर को मारा, शुम्भ,निशुम्भ मारे गए।मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी ने राक्षस राज रावण,कुम्भकरण आदि को मारा।यह नवरात्र बहुत ही पवित्र पर्व और तिथि है। अब देखिये न ये राक्षस झारखण्ड में जमीन को लेकर युद्ध पर आमादा थे लिहाजा नवरात्र में रामराज्य लाने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी इन राक्षसों को छोड़ कैसे सकती है? वैसे 2 अक्टूबर शांति-अहिंसा के पुजारी पूज्य बापू का भी जन्मदिन है जो महानतम रामभक्त थे। अब बापू असली रामभक्त थे कि गोंडसे यह अलग विषय है लेकिन रामभक्त मोदी जी ने झारखण्ड के हजारीबाग में चिरूडीह कफ़न सत्याग्रह में 1 अक्टूबर को असुर जातियों को मरवाके बापू को भी अपनी अग्रिम श्रद्धांजलि अर्पित करवा ही दी। झारखण्ड में इन असुर कुल के आदिवासियों को वहां की सरकार ने मार गिराया है,7 असुर/आदिवासी/पिछड़े/दलित मार डाले गए हैं। देवी दुर्गा और राम जी का प्रताप इन आदिवासियों को एक बार फिर नेस्तनाबूद कर डाला है।सत्य की फिर जीत हुयी है,असत्य और पाप हजार वर्ष बाद फिर परास्त हो गया है।

झारखण्ड में ये आदिवासी/पिछड़े/दलित घमण्ड में चूर होकर जमीन पर हक जताने चले थे।उन्हें लग रहा था कि हजार वर्ष बाद वे असुर श्रेणी से बाहर आ गए हैं और सभ्य समाज के अंग हो गए हैं।उन्हें शायद यह भूल गया था कि वे जहां हक मांगने के लिए जा रहे हैं वे दुर्गा और राम के भक्त लोग हैं जिन्हें उन आदिवासियों की असलियत पता है।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मार्कण्डेय काटजू जी और ज्ञानसुधा मिश्र जी पहले ही एक फैसले में कह चुके हैं कि "इस देश के आदिवासियों को हजारो वर्ष पूर्व असुर,राक्षस,दानव कह मारा गया था और आज भी मारा जा रहा है जबकि इस देश के मूलनिवासी वे ही हैं।"ये असुर मारे जाने के लिए ही पैदा हुए या किये गए हैं।भगवान ने इन्हें इसी निमित्त बनाया है कि ये अधिकार बिपन्न रहें और जब अधिकार मांगे तो इन्हें मारके हम उस पंक्ति को चरितार्थ करें कि-

"जब-जब होहि धर्म की हानि,
बाढहि असुर अधम अभिमानी।
तब-तब धरि प्रभु बिबिध शरीरा,
हरहिं शोक सज्जन दुःख,पीड़ा।।"

झारखण्ड में वही हजार वर्ष पुरानी परम्परा नवरात्र में दुहरायी गयी है और जल,जंगल,जमीन से च्युत इन मूलनिवासी आदिवासियों को हक मांगने पर मौत के घाट उतार दिया गया है।ये अपने प्रिय मोदी जी राम जी के अनन्य अनुयायी और भक्त हैं।इन्हें रामराज्य लाना है।रामराज्य का मतलब ही "अच्छे दिन"होता है।तुलसी दास जी ने रामराज्य के अच्छे दिनों के बारे में कहा है कि

"दैहिक,दैविक,भौतिक तापा,
रामराज्य काहू नहिं ब्यापा।"

रामराज्य में किसी तरह का कष्ट नही होता है और जो किसी तरह का कष्ट पंहुचाता है,वही राक्षस है।ये आदिवासी वहां की रामराज्य वाली सरकार को घेर रहे थे,सत्याग्रह कर जमीन पर हक जता रहे थे जबकि इन असुरों को कोई अधिकार नही इन जमीनों पर इसलिए इनका वध जरूरी था।दुर्गा जी और रामजी के प्रताप से शुभ नवरात्र में भारतीय जनता पार्टी की रामराज्य वाली सरकार ने झारखण्ड में सत्याग्रही आदिवासी असुरो का वध कर झारखण्ड को सुरक्षित कर लिया है।

अब तो इस नवरात्र में मैं भी महिषासुर मर्दिनी दुर्गा जी की जय बोलूंगा ही,मर्यादा की रक्षा हेतु रावण वध करने वाले राम की जय बोलूंगा ही और राक्षस योनि के रावण और महिषासुर की कुल परम्परा के आदिवासियों का वध करने के लिए मोदी जी की जय बोलूंगा ही।

हम तो रामराज परिषद वालों के बारे में यही कहेंगे कि-
"हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम।
वो कत्ल भी करते हैं और चर्चा नही होती।।"

अब श्रद्धांजलि किसे अर्पित की जाय,महिषासुर को,रावण को,अभी-अभी कत्ल हुए झारखण्ड के आदिवासियों को या गांधी जी को?दुखद,घोर दुखद…

वरिष्ठ चिंतक

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Behind the Killing of 5 Tribals, the Illegal Acquisition of Land by NTPC: Hazaribagh https://sabrangindia.in/behind-killing-5-tribals-illegal-acquisition-land-ntpc-hazaribagh/ Mon, 03 Oct 2016 10:06:00 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/03/behind-killing-5-tribals-illegal-acquisition-land-ntpc-hazaribagh/ A sinister nexus between the state police (Jharkand, a state ruled by the Bharatiya Janata Party,BJP) and the Modi regime is revealed as the illegal acquisition of land by the NTPC in Barakagaon, as this acquisition has been coercively undertaken without the approval, statutorily mandated, by the Gram Sabha. Image: Hindustan Times   The protesting […]

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A sinister nexus between the state police (Jharkand, a state ruled by the Bharatiya Janata Party,BJP) and the Modi regime is revealed as the illegal acquisition of land by the NTPC in Barakagaon, as this acquisition has been coercively undertaken without the approval, statutorily mandated, by the Gram Sabha.

Adivasis Fired On By Jharkand Cops
Image: Hindustan Times
 
The protesting farmers and their representatives have told Sabrangindia that they are willing to lay down their lives but will not give up rich and arable land. They say also that the Gram Sabha is totally opposed to the acquisition. In the brutal police firing that took place between 4 a.m. and 6.30 a.m. on October 1, five tribal farmers have died. The Government has released only four dead bodies but the bodies of three more farmers are still unaccounted for. The whole area has been cordoned off by 7 battallions of armed police, Rapid Action Force and paramilitary personnel.  Section 144 is in force and what is happening inside the area is not fully known. This part of Hazaribagh district in Jharkand is functioning as if in a state of emergency.
 
P.P.Verma, convenor of the Jharkhand Nagrik Prayas and the Jharkhand Alternative Development Forum, Ranchi speaking to Sabrangindia has strongly condemned the brute police firing and vowed to support the just struggle of the Barakagaon farmers. "Jharkandis will not hesitate to stand beside them against this repressive regime, he says. “The firing by the administration on unarmed people is worthy of severe condemnation and any Government that kills its own citizens has no right to exist. The time has come for the Government of the day to realize that forcible acquisition of land from farmers is not possible and Power Plants that are built on the rich lands of farmers, have no place and neither is this sustainable development,” Verma adds.
 
The Gram Sabha will be victorious in the end and NTPC will have to pack up and go, say protestors. Residents have been protesting the acquisition of land by the NTPC (formerly, the National Thermal Power Corporation Ltd) for their coal mines. The public-sector firm had proposed to start mining coal in the Karanpura valley, in the east Singhbhum district of Jharkhand, over an area of 47 square kilometers.

The land acquisition for the project began in 2004, though slow progress was made on the proposed mines in what is claimed to be one of the largest coal blocks of Asia. Residents and farmers have resisted the acquisition of their land in an agriculturally rich zone, which has three annual crop harvests, employing the villagers throughout the year, and generated agricultural revenue upwards of Rs 300 crore.

The NTPC only broke ground this year, after successfully acquiring about 2,500 acres of land from the forest department, out of a proposed 17,000 acres. The Forest Rights Act, 2006, however, requires approval from 70% of the members of the Gram Sabha members in order to acquire forest land which has not been obtained.
 
Background
On October 11, 2004, NTPC was allocated mines by the Government of India; the Pakri Barawadih Coal Block in Hazaribagh district containing an estimated 1600 MT of coal lay beneath the allocated land. The total land area was 12000 acres, covering 40 villages and 2500 acres of forest land. Strong opposition to the land acquisition started at the time, twelve years ago, by the farmers whose land fell under this allocation. The farming area was a multi-cropping area and the fertile land was used by the farmers as their sole source of livelihood. At no cost the farmers were willing to give their land.
 
On January 6, 2007, the government announced that a Public Hearing would take place at 11 am to resolve the issue. Instead of adhering to the announcement, the Administration stealthily held the Public Hearing the previous night at 11 pm. When the farmers came to know of this, some of the farmers had even attended the illegal hearing, voicing their total opposition to the proposed land acquisition.  Predictably, false cases were filed in the courts on some of the farmers for this opposition. Shockingly, the outcome of the Public Hearing that was put out by the Government showed that the farmers had given their consent which was a total lie. The harassment of the opposing farmers continued.
 
An interesting event took place on June 23, 2011 whereby the Chatti Bariatu Coal Block was de-allocated by the Government of India but in November 2011 the Hazaribagh District Administration transferred the said Coal Block back to the NTPC!
 
Under the 2013 Land Acquisition Act, 70% consent was required from the Gram Sabha which procedure was also not followed. Also, under the Forest Rights Act passed in 2006, acquiring of Forest Land laid down certain conditions which, too, protesting farmers have alleged, the NTPC did not follow.
 
It was in these circumstances that, in 2016, the NTPC claimed to have acquired 3000 acres of forest land and 435 acres of farmers' land and decided to go ahead with the mining project within the area that fell under forest land. Several farmers and the local leadership opposed this start of mining operations for which farmers and some leaders were even jailed for over two months or more. These criminal cases are still pending in courts even as the harassment continues, it is alleged.

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5 Tribals Killed as Jharkand Cops Fire on Protestors https://sabrangindia.in/5-tribals-killed-jharkand-cops-fire-protestors/ Sun, 02 Oct 2016 09:31:40 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/02/5-tribals-killed-jharkand-cops-fire-protestors/ 5 die, 12 seriously injured in Jharkhand, as cops "open fire" on protesting tribals; Medha Patkar writes to NHRC   An injured tribal In a gruesome incident, early morning on Saturday, the Jharkhand police is said to have left five persons dead and many injured as it opened fire on the villagers protesting “forcible land […]

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5 die, 12 seriously injured in Jharkhand, as cops "open fire" on protesting tribals; Medha Patkar writes to NHRC
 
An injured tribal

In a gruesome incident, early morning on Saturday, the Jharkhand police is said to have left five persons dead and many injured as it opened fire on the villagers protesting “forcible land acquisition” for a thermal power plant being built by the National Thermal Power Corporation (NTPC) in district Hazaribagh, Chirdudih area. 

The firing, according to independent sources, has left five people dead, 12 critically injured and nearly 50 injured. There is a curfew in the area, and outsiders can’t go, and many missing are yet to be traced, these sources added.

While protests against the NTPC plant have been going on since 2010, when the project was announced, critics says, till date far acquired 8,056 acres of land acquired, most it “forcibly and fraudulently.”

This has happened despite the fact that, it is suggested, many issues even on the acquired land remains to be resolved, including higher compensation, employment and so on. 

“Without meeting any of the promises and resolving the outstanding issues, attempts continue to be made to forcibly acquire more land, completely violating many provisions of the Land Acquisition Act (LAA)”, 2013, says National Alliance of People’s Movements (NAPM), a network of tens of civil rights organizations, in an early statement. 

The latest round of protests began at the site about 10 days days ago, with thousands from different villages staging “kafan” (shroud) satyagraha at Badkagaon village.
“Government rather than trying to resolve the situation tried to arrest one of the leaders and after resistance from the villagers resorted to police firing leading to death of five people”, NAPM has contended.

Condemning the incident as a “dastardly act of terror and unprovoked firing on the long resistance against the forcible acquisition of land”, NAPM has said, “This incident comes barely few months after a police firing on villagers protesting ill impacts of thermal power plants left two dead in Ramgarh district.”
It adds, “The impunity with which the Jharkhand government has been dealing with peaceful protests and several instances of opening fire on the peaceful protesters raises serious questions of violations of human rights and complete disregard for the law and order.”

“The incident also exposes the continued repression and exploitation of the adivasis and the land despite Jharkhand becoming a separate state in 2001. In 15 years, the Indian State and political class has only colluded with the private corporations for exploiting the natural resources”, the statement says.
It adds, “This has often faced stiff resistance from the people and led to manifold instances of police firing, imprisonment and torture.” 

In a letter written to the National Human Rights Commission (NHRC), NAPM convener, well-known social activist Medha Patkar and her colleague Madhuresh Kumar, have sought immediate “stop to this reign of terror”, adding, the police should be immediately “withdraw from the area” injured be “treated”.

Asking in the letter to NHRC chairman HL Dattu to ensure that the state government does not to begin “witchhunt and arrest of the villagers as we have witnessed in numerous instances in past”, the letter says, the government should take “immediate action on the police officials who ordered firing.”

Seeking the NHRC intervention to “to stop an end to the forcible land acquisition, which is rampant in the state and often has led to the death and imprisonment of the adivasis and farmers there”, the letter says, all “outstanding issues” with the tribals should be settled immediately.

 
 
 

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