jai gurudev ashram | SabrangIndia News Related to Human Rights Wed, 19 Oct 2016 07:09:40 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png jai gurudev ashram | SabrangIndia 32 32 जय गुरुदेव आश्रम का सड़ा भोजन खाने से 25 गाय-भैंसों की मौत https://sabrangindia.in/jaya-gauraudaeva-asarama-kaa-sadaa-bhaojana-khaanae-sae-25-gaaya-bhaainsaon-kai-maauta/ Wed, 19 Oct 2016 07:09:40 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/19/jaya-gauraudaeva-asarama-kaa-sadaa-bhaojana-khaanae-sae-25-gaaya-bhaainsaon-kai-maauta/ गौरक्षा को सबसे बड़ा मिशन मानने वाले बाबा जयगुरुदेव के अनुयायियों की लापरवाही से चंदौली जिले में बड़ी संख्या में जानवरों की मौत हुई है। इनमें ज्यादातर दुधारू गायें और भैंसे शामिल हैं। चंदौली जिले में जयगुरुदेव के भक्तों के फेंके भोजन को खाने से 26 जानवरों की मौत हो गई है।  19 जानवरों की […]

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गौरक्षा को सबसे बड़ा मिशन मानने वाले बाबा जयगुरुदेव के अनुयायियों की लापरवाही से चंदौली जिले में बड़ी संख्या में जानवरों की मौत हुई है। इनमें ज्यादातर दुधारू गायें और भैंसे शामिल हैं। चंदौली जिले में जयगुरुदेव के भक्तों के फेंके भोजन को खाने से 26 जानवरों की मौत हो गई है।  19 जानवरों की हालत गंभीर है।

Cattle
Representative Image

जय गुरुदेव समिति ने 15 अक्टूबर से कटेसर गांव में दो दिन का सत्संग किया था, जिसमें तीन से चार लाख की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए थे। इसी कार्यक्रम में राजघाट पर मची भगदड़ में 25 लोगों की मौत हुई थी। भगदड़ के कारण श्रद्धालु जल्दी चले गए और भंडारे के लिए बना भोजन भारी मात्रा में बचा रह गया, जिसे फेंक दिया गया।

इसी बचे भोजन को खाने से जानवर बीमार होने लगे और देखते ही देखते 25 जानवरों की मौत हो गई। सूचना मिलने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने मरे जानवरों को गड्ढे खुदवाकर दफनाने का काम शुरू करा दिया।

वाराणसी के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ वीबी सिंह बताते हैं कि एक साथ बड़ी संख्या में पशुओं की मौत का कराण फूड प्वायजनिंग ही होता है। खराब हो चुका खाना खाने से पशुओँ के पेट में एसिडोसिस हो जाता है, और उनका पेट फूलने लगता है और उनकी मौत तक हो जाती है। ऐसे में जानवरों को नींबू पानी पिलाकर बचाया जा सकता है, लेकिन कटेसर और डोमरी गाँवों में लोगों को इतनी जानकारी थी नहीं, जिससे उनके जानवर बड़ी संख्या में मारे गए।

जय गुरुदेव समिति की ओर से इतनी बड़ी लापरवाही की गई जिसका खामियाजा कटेसर और डोमरी गांवों के पशुपालकों को उठाना पड़ा।

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