Jha Commission | SabrangIndia News Related to Human Rights Fri, 26 Aug 2016 03:59:22 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png Jha Commission | SabrangIndia 32 32 मध्य प्रदेश हायकोर्ट से शासन को ‘भ्रष्टाचार’ संबंधी FIR दर्ज करने की मंजूरी। https://sabrangindia.in/madhaya-paradaesa-haayakaorata-sae-saasana-kao-bharasataacaara-sanbandhai-fir-daraja/ Fri, 26 Aug 2016 03:59:22 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/08/26/madhaya-paradaesa-haayakaorata-sae-saasana-kao-bharasataacaara-sanbandhai-fir-daraja/   * 'झा आयोग की रिपोर्ट' का हवाला देकर आरोपित भूअर्जन व पुनर्वास अधिकारी दाखिल करेंगे प्रकरण, क्रेता, विक्रेता व दलालों के खिलाफ।  * अधिकारी और पटवारियों के खिलाफ कार्रवाई, संभागायुक्त की जाँच के बाद।    बड़वानी । अगस्त  24, 2016: सरदार सरोवर विस्थापितों के पुनर्वास में जो भ्रष्टाचार, पांच मुद्दों पर नर्मदा बचाओ आंदोलनने उजागर […]

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* 'झा आयोग की रिपोर्ट' का हवाला देकर आरोपित भूअर्जन व पुनर्वास अधिकारी दाखिल करेंगे प्रकरण, क्रेता, विक्रेता व दलालों के खिलाफ। 
* अधिकारी और पटवारियों के खिलाफ कार्रवाई, संभागायुक्त की जाँच के बाद। 
 
बड़वानी । अगस्त  24, 2016: सरदार सरोवर विस्थापितों के पुनर्वास में जो भ्रष्टाचार, पांच मुद्दों पर नर्मदा बचाओ आंदोलनने उजागर किया, वह झा आयोग की रिपोर्ट से साबित होने के साथ यह भी स्पष्ट हुआ है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क् अधिकारी एवं १८६ से अधिक दलालों को इस भ्रष्टाचार के घोटाले के लिए दोषी ठहराया गया है। न्या. झा आयोग के निष्कर्षों से यह भी उजागर हुआ है कि शासन की तिजोरी से, इस भ्रष्टाचार के कारण, अनियमितताओं के कारण करोड़ों रुपयों का खर्च व्यर्थ गया है तथा १५८९ विस्थापित परिवारों को प्रत्यक्ष में जमीन नहीं मिली है; पुनर्वास स्थलों की स्थिति निचले दर्जे की सुविधाओं के कारण रहने लायक नहीं है। 

मध्य प्रदेश शासन को सर्वोच्च अदालत ने रिपोर्ट सौंपते हुए ३०.३.२०१६ के रोज आदेश दिया था कि वह रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करे और Action Taken Report सर्वोच्च अदालत के समक्ष पेश करे। राज्य शासन ने ५ अगस्त, २०१६ का एक आदेश नर्मदा विकास विभाग से निकलवा कर यह तय किया कि फर्जी रजिस्ट्रियों के मामले में वह क्रेता (विस्थापित), विक्रेता, दलालों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करेंगे। यह दर्ज करने वाले भूअर्जन व पुनर्वास अधिकारीही होंगे। साथ ही जिन पटवारियों के खिलाफ प्रथमदर्शनी भी अपराध होगा, उन की जाँच संभागायुक्त, इन्दौर ने करने के बाद ही, ६ महीनों के भीतर उनमें से दोषी पाए गए व्यक्तियों पर कार्रवाई होगी। आजीविका अनुदान के मुद्दे पर इस आदेश/निर्णय में कोई उल्लेख नहीं है। 

इस कार्रवाई को झा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर करने की कार्रवाई बताकर मध्य प्रदेश शासन ने, विस्थापितों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने वाले ३.३.२००८ के आदेश को खारिज करने की अर्जी याचिका जबलपुर हायकोर्ट में दाखिल करने पर आज सुनवाई हुई। मध्य प्रदेश हायकोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश रद्द करना नामंजूर किया। उच्च न्यायालय ने अपने आज के, २४.८.२०१६ के आदेश में कहा है कि "झा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई राज्य शासन करना चाहे तो सर्वोच्च अदालत ने आदेश किए अनुसार करे और कार्रवाई-रिपोर्ट (Action Taken Report) उनके सामने पेश करे। इस में उच्च न्यायालय के किसी आदेश से अवरोध नहीं होगा।" 

आंदोलन का कहना है कि उच्च न्यायालय ने ३.३.२००८ का अंतरिम आदेश खारिज न करना सही है। लेकिन ५.८.२०१६ को नर्मदा विकास विभाग ने जो निर्णय लिया है और क्रेता-विक्रेताओं के खिलाफ २००८ में दर्ज किये २८८ प्रकरण तथा अन्य ७०५ व्यक्तियों पर गुनाह दाखिल कर रहे हैं, यह झा आयोग की रिपोर्ट अनुसार करने की कार्रवाई नहीं है। आयोग ने क्रेता-विक्रेताओं को दोषी नहीं ठहराया है तो उनके खिलाफ कार्रवाई कैसी? 

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण अपने अधिकारियों को बताने की खूब कोशिश कर रहा है, लेकिन आयोग की लम्बी, गहरी जाँच और रिपोर्ट से ही साबित हुआ है कि दोषी शासन की गलत नीति, अंधाधुंध या बिना नियोजन से किया गया कार्य, बिना जाँच किया भुगतान इ. के लिए जो जिम्मेदार है, वह दोषी हैं। विस्थापितों को जेल दिखानेवालों को एक दिन निश्चित ही उनकी जगह दिखाएँगे।

(राजकुमार सिन्हा, मुकेश भगोरिया, मेधा पाटकर संपर्क: राहुल यादव)
 
 

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