modi crying | SabrangIndia News Related to Human Rights Tue, 07 Feb 2017 11:08:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png modi crying | SabrangIndia 32 32 ‘इस तरह अपने गुनाहों को छुपा लेता है, जब मुल्क गुस्से में आता है वो रो लेता है’ https://sabrangindia.in/isa-taraha-apanae-gaunaahaon-kao-chaupaa-laetaa-haai-jaba-maulaka-gausasae-maen-ataa-haai/ Tue, 07 Feb 2017 11:08:51 +0000 http://localhost/sabrangv4/2017/02/07/isa-taraha-apanae-gaunaahaon-kao-chaupaa-laetaa-haai-jaba-maulaka-gausasae-maen-ataa-haai/ लखनऊ। बीएसपी के कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने लखनऊ में आज एक चुनावी रैली को संबोधित किया। नसीमुद्दीन सिद्दीकी बीएसपी उम्मीदवार अरमान खान के लिए चुनाव प्रचार करने लखनऊ आए थे। चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अब तक का सबसे बड़ा जुबानी हमला किया। वहीं सूबे की सपा सरकार […]

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लखनऊ। बीएसपी के कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने लखनऊ में आज एक चुनावी रैली को संबोधित किया। नसीमुद्दीन सिद्दीकी बीएसपी उम्मीदवार अरमान खान के लिए चुनाव प्रचार करने लखनऊ आए थे। चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अब तक का सबसे बड़ा जुबानी हमला किया। वहीं सूबे की सपा सरकार को भी खरी खोटी सुनाईं।

Modi
 
लखनऊ के फाउंटेन चौराहा अकबरीगेट पर चुनावी जनसभा संबोधित करते हुए उन्होंने कहा "नरेंद्र मोदी ने बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन वह वादे भूल गए।" बसपा नेता ने कहा कि "मोदी अपने भाषण में कहा करते थे कि गरीबी दूर करेंगे, किसानों का कर्ज माफ करेंगे, विदेश से कालाधन लाएंगे और कहते थे कि अच्छे दिन आने वाले हैं, नरेंद्र मोदी ने इतना गलत प्रचार करके देश को लाइन में लगा दिया।" उन्होंने आगे कहा "नोटबंदी के दौरान गाँव के लोगो को बैंको के बाहर चार-चार दिन रजाई ले कर वही सोना पड़ा आज सत्ताईस दिन पूरे हो गये हैं, अभी भी स्थिति सामान्य नहीं है।" बीएसपी नेता ने कहा कि "मोदी जी कभी अपने भाषणों में धमकाते हैं और कभी वो सीना पीटने लगते हैं, प्रधानमंत्री बनने के बाद वह अब तक सात बार रो चुके है।" मोदी पर नसीमुद्दीन ने एक शेर पढ़ते हुए कहा "इस तरह अपने गुनाहों को छुपा लेता है, मुल्क जब गुस्से में आता है वो रो लेता है।"
 
उन्होनें कहा की वह चाय बेचते थे और उनकी माँ मजदूरी करती थीं। मैं पूछना चहता हूं "उन्होंने 80 करोड़ के कपड़े पहन डाले मोदी जी ये काला धन है या सफेद अगर आप नही बताओगे तो लखनऊ की जनता जवाब देगी तो आप भूल नही पाओगे ये ड्रामा कबतक चलेगा।" बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने घोषण प्रत्र में कहा है "मैं मन्दिर बन बनवाऊंगा चुनाव घोषित हो चुके है अब मन्दिर बन बनवाएंगे।"  सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया है चुनाव में इस तरह की कोई बात नही करेगा। उन्होंने कहा कि "चुनाव आयोग से मेरी अपील है कि अमितशाह को गिरफ्तार किया जाए।"
 
उन्होंने सपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि "अखिलेश ने क्या काम किया उनके पिता कह चुके हैं कि आप ने इतना काम नहीं किया पूरे उत्तर प्रदेश में 500 दंगे करा दिये, मुजफ्फरनगर के दंगे ने सबको हिला कर रख दिया है, दादरी में अखलाख को घसीटा गया कहते है काम बोलता है चुनाव में पब्लिक इसका जवाब देगी, दंगे होते नही कराए जाते है कहते है काम बोलता है अगर काम अच्छा काम किया होता तो गठबंधन की क्या जरूरत थी उन्होने कहा कांग्रेस खाट सभा करती रही उसकी खाट उठ गयी है कांग्रेस डूबता जहाज है।"

Courtesy: National Dastak

 

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परेशान देश और रोता प्रधानमंत्री https://sabrangindia.in/paraesaana-daesa-aura-raotaa-paradhaanamantarai/ Wed, 23 Nov 2016 07:13:22 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/11/23/paraesaana-daesa-aura-raotaa-paradhaanamantarai/ भारत के ही किसी एक शहर में एक परिवार रहता है जिसका एक बच्चा बहुत ही ज़िद्दी और अख्खड़ , मुहल्ले में जब वह खेलते समय बच्चों से हार या पिट जाता तो अपने घर में जाकर रोता और सफाईयाँ देता कि "मैंने कुछ नहीं किया , वो लोग झूठ बोल रहे हैं ,और रोते […]

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भारत के ही किसी एक शहर में एक परिवार रहता है जिसका एक बच्चा बहुत ही ज़िद्दी और अख्खड़ , मुहल्ले में जब वह खेलते समय बच्चों से हार या पिट जाता तो अपने घर में जाकर रोता और सफाईयाँ देता कि "मैंने कुछ नहीं किया , वो लोग झूठ बोल रहे हैं ,और रोते हुए कहता कि मैंने ऐसे किया , मैंने वैसे किया, सारी गलती उन लोगों की है , बूहूहूहू । और फिर उसके घर वाले "लठैत" घर से बाहर आकर उन लोगों को चार बातें सुनाते जिनके साथ बच्चा खेल रहा था।

Modi Crying

यह उदाहरण हमारे और आपके मुहल्ले या कालोनी में बच्चों की लड़ाईयों में अक्सर ही सबके सामने आया होगा , कल प्रधानमंत्री जी ने भी उसी बच्चे की तरह व्यवहार किया , और जब सारा विपक्ष उनके संसद में होने की माँग कर रहा है तो वह भाजपा संसदीय दल की बैठक में उसी बच्चे की तरह रोकर सफाईयाँ दे रहे थे कि "विपक्ष गलत जानकारी फैला रहा है" "मेरा मकसद यह था" , "आप लोग जनता को समझाईये" , " इस नोटबंदी को सर्जिकल स्ट्राईक मत कहिए" इत्यादि इत्यादि।

जैसे अपने घर में जाकर रोने वाला ज़िद्दी लड़का अक्सर गलत होता है वैसे ही यहाँ प्रधानमंत्री भी गलत हैं, क्युँकि नोटबंदी को एक और सर्जिकल स्ट्राईक उन्होंने खुद 22 अक्टूबर 2016 को वड़ोदरा की अपनी पिछली ही मीटिंग में कहा था और उनके तब के भाषण से प्रेरित होकर ही उनके परिवार वालों ने नोटबंदी को सर्जिकल स्ट्राईक कहना प्रारंभ किया , आज प्रधानमंत्री दूसरे को "सर्जिकल स्ट्राइक" कहने से मना कर रहे हैं तो मान लीजिए कि वह अपने निर्णय में फँस चुके हैं और पूरे देश को फँसा चुके हैं जिसपर लीपापोती करने के लिए वह अपनी "भाँड मीडिया" और खुद की अभिनय क्षमता का प्रयोग कर रहे हैं, प्रधानमंत्री जी आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति के "ट्रेजडी किंग" होने जा रहे हैं।

ध्यान दीजिए कि 8 नवम्बर के बाद प्रधानमंत्री जी ताबड़तोड़ सभाएँ कर रहे हैं , जापान में एक , महाराष्ट्र और गोवा में 3 , गाज़ीपुर में 1 , आगरा में 1 , पत्रकारिता से संबंधित एक कार्यक्रम में एक और कल भी किसी प्रोग्राम में एक , अर्थात 13 दिन में 8 प्रवचन और हो सकता है कि दो एक दिन में दो एक और प्रवचन देकर रविवार को "मन की बात" करें तो कुल 12 भाषण, और सब जगह देश को समझाने का प्रयास , तो आप खुद समझ सकते हैं कि एक तो प्रधानमंत्री को भी देश की नाराजगी का एहसास है और दूसरा यह कि "नोटबंदी" के लिए पूरी स्क्रिप्ट लिखी गयी , प्रधानमंत्री के भाषणबाजी के प्रोग्राम तय किए गये , बस तैयारी इस बात की नहीं की गयी कि इस नोटबंदी के कारण बर्बाद होने वाली जनता को और क्या विकल्प दिए जाएँ जिससे देश में अव्यवस्था ना फैले।

दरअसल संघ की ट्रेनिंग से इन नागपुरियों के पास गजब की थेथरई होती है , शब्दों को चबा चबा कर आक्रामक रुप से बोलने की कला होती है और प्रधानमंत्री इस कला के सबसे बड़े उदाहरण हैं , उनको लगता है कि उनके भाषण देने , चीख चीख कर समझाने , हाथ उठवा देने से गरीब जनता अपनी भूख और पैसे की ज़रूरत भूल जाएगी तो यह उनकी मुर्खता ही है।

कल राज्यसभा में ये बोल रहे थे कि यह विषय वित्तमंत्री के स्तर का है तो प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की ज़िद क्युँ ? तो सवाल उठेगा ही कि यह विषय वित्तमंत्री के स्तर के विषय को प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर को खुद घोषणा क्युँ की ? जब खुद घोषणा की तो वित्तमंत्री से जवाब क्यूँ ?

देश फँस चुका है और प्रधानमंत्री समझ चुके हैं कि वह देश को फँसा चुके हैं , उदाहरण देखिए कि नोटबंदी की घोषणा के अगले ही दिन प्रधानमंत्री जापान निकल गये और वहाँ उचक उचक कर , मटक मटक कर , ताली बजा बजा कर अपने निर्णय पर खुद की पीठ ठोक रहे थे और अब वह सुबक सुबक कर रो रहे हैं।

गलती मानकर उसमें सुधार करने की बजाए रोना और उलहना देना कायरता की निशानी है और देश का प्रधानमंत्री बार बार खुद के कायर होने का उदाहरण दे रहा है , पूरा देश परेशान है और प्रधानमंत्री खुद देश को संसद में जवाब देने की बजाए संसदीय दल के पल्लू में बैठ कर सुबक रहे हैं तो माफ कीजिएगा उनके पास 56" की छाती नहीं कुछ और ही है।

संसद का सामना ना करना और वहाँ के सवाल जवाब से भागना वैसे ही है जैसे मुहल्ले का वह ज़िद्दी बच्चा अपने स्कूल की कक्षा से भागता है , निश्चित रूप से देश और प्रधानमंत्री फँस चुके हैं ।

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