Rajeev Yadav | SabrangIndia News Related to Human Rights Fri, 11 Nov 2016 05:51:18 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png Rajeev Yadav | SabrangIndia 32 32 राजीव यादव –सिमी के पहले हिन्दू कार्यकर्ता! https://sabrangindia.in/raajaiva-yaadava-saimai-kae-pahalae-hainadauu-kaarayakarataa/ Fri, 11 Nov 2016 05:51:18 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/11/11/raajaiva-yaadava-saimai-kae-pahalae-hainadauu-kaarayakarataa/ राजीव यादव यूपी में सामाजिक व राजनीतिक संगठन ‘रिहाई मंच’ के सक्रिय नेता हैं. मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को पूरी सक्रियता के साथ उठाते रहे हैं. भोपाल में कथित सिमी कार्यकर्ताओं के कथित एनकाउंटर पर भी इन्होंने ज़ोर-शोर से सवाल उठाएं और विरोध में लखनऊ में प्रदर्शन का ऐलान किया. अभी प्रदर्शन की […]

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राजीव यादव यूपी में सामाजिक व राजनीतिक संगठन ‘रिहाई मंच’ के सक्रिय नेता हैं. मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को पूरी सक्रियता के साथ उठाते रहे हैं. भोपाल में कथित सिमी कार्यकर्ताओं के कथित एनकाउंटर पर भी इन्होंने ज़ोर-शोर से सवाल उठाएं और विरोध में लखनऊ में प्रदर्शन का ऐलान किया. अभी प्रदर्शन की तैयारी ही कर रहे थे कि पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया और मारते-पीटते पुलिस चौकी ले गई. राजीव यादव की मानें तो पुलिस ने सड़क पर तो पीटा ही, पुलिस चौकी के अंदर भी ढ़ाई घंटे तक सिमी आतंकी, मुसलमान, कटुआ और पाकिस्तानी एजेंट बताकर उन्हें पीटा गया और लगातार फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारने की धमकी देते रहें.

SIMI Hindu
Rajeev Yadav. Picture credit: TwoCirclesTV/YouTube 

TwoCircles.net ने राजीव यादव से खुलकर बातचीत की. इस बातचीत में राजीव यादव बताते हैं कि –‘मेरे पिटाई की घटना के दूसरे ही दिन उत्तर प्रदेश के प्रमुख गृह सचिव देबाशीष पण्डा एक शासनादेश जारी कर बताया कि भोपाल ‘एनकाउंटर’ के मुद्दे पर पूरे यूपी में कोई धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकता. यह शासनादेश लोकतंत्र के विरोध था. जब रिहाई मंच ने इसका विरोध किया तो तीसरे दिन मीडिया में ख़बर दी गई कि यूपी के क़रीब 300 सिमी सदस्यों में से 40 अभी भी सक्रिय हैं. इस ख़बर में स्पष्ट तौर पर लिखा गया कि सिमी सदस्यों की निगरानी कर रही एटीएस की पड़ताल में यह खुलासा हुआ है कि अब भी 40 संदिग्ध सोशल मीडिया व मीटिंग के ज़रिए लोगों को संगठन से जोड़ने का काम कर रहे हैं. भोपाल एन्काउंटर कांड के बाद इनकी सक्रियता और बढ़ी है.’

राजीव यादव कहते हैं कि –‘मतलब जो सोशल मीडिया पर मेरे पीटे जाने की वीडियो शेयर व वायरल कर रहे थे. जो मेरे पक्ष में लिख रहे थे. यूपी पुलिस उन्हें सिमी कार्यकर्ता मान रही है. ये पुलिस का धमकी देने का अंदाज़ था कि लोग मेरे ऊपर हुए ज़ुल्म पर न लिखें. वो इनके विरोध में उठने वाले इन आवाज़ों को दबाना चाहते थे. गंभीर बात यह है कि इनके द्वारा यह बात भी प्रचारित की गई कि जो लड़का सिमी के समर्थन के आरोप में पकड़ा गया है, वो मुसलमान नहीं, हिन्दू है.’

TwoCircles.net ने राजीव यादव से लंबी बातचीत की. इस बातचीत का एक वीडियो क्लिप आप यहां देख सकते हैं, जिसमें वो अपने पीटने की दास्तान सुना रहे हैं.

बताते चलें कि 30 साल के राजीव यादव उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में जन्में हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है. पढ़ाई के दौरान वो ऑल इंडिया स्टूडेन्ट एसोसियशन (आईसा) के सक्रिय नेता रहें. उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें इलाहाबाद आईसा का सचिव भी बनाया गया. इसके बाद राजीव दिल्ली इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्यूनिकेशन (आईआईएमसी) से पत्रकारिता की पढ़ाई की. इस दौरान वो ‘रिहाई आन्दोलन’ से जुड़ें.

पत्रकारिता की पढ़ाई मुकम्मल होने के बाद कुछ दिनों तक पत्रकारिता में सक्रिय रहें. उसके बाद उन्होंने डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों के बनाने की ओर ध्यान दिया. ‘सैफ़रन वार: ए वार अगेंस्ट टेरर’ और ‘पार्टिशन रिवीजीटेड’ नाम की डॉक्यूमेंट्री बनाई. सैफ़रन वार यूपी की सियासत में काफी चर्चित डॉक्यूमेंट्री रहा है. खुद गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ ने इस डॉक्यूमेंट्री के विरोध में राजीव यादव को इस्लामिक फंडेड व नक्सलियों का समर्थक बताया. बावजूद इसके राजीव यादव पूरी बहादुरी के साथ पूर्वांचल में साम्प्रदायिकता के सवाल को उठाते रहें. मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के बाद संगीत सोम जैसे नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज करवाया. राजीव यादव ने 2015 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शाहनवाज़ आलम के साथ मिलकर ‘ऑपरेशन अक्षरधाम’ नामक पुस्तक भी लिखा.

यहां यह भी स्पष्ट रहे कि 2007 में शुरू हुए ‘रिहाई आन्दोलन’ 2012 में ‘रिहाई मंच’ में तब्दील हो गया और राजीव यादव इसके महासचिव बनाए गएं. राजीव यादव ने हाशिमपुरा के मामले पर एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें इन पर दंगा भड़काने की कोशिश का आरोप लगाकर यूपी पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज कराया. एक रिसर्च के दौरान राजीव गुजरात के अहमदाबाद में भी डिटेन किए गएं, लेकिन पूछताछ के बाद इन्हें छोड़ दिया गया. इस तरह से राजीव यादव लगातार सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं.
 


(This article was first published on TwoCircles.net.)

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