tilka manjhi | SabrangIndia News Related to Human Rights Fri, 13 Jan 2017 12:30:44 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png tilka manjhi | SabrangIndia 32 32 तिलका माँझी शहादत दिवस विशेष: भारतीय स्वाधीनता संग्राम के पहले शहीद https://sabrangindia.in/tailakaa-maanjhai-sahaadata-daivasa-vaisaesa-bhaarataiya-savaadhainataa-sangaraama-kae/ Fri, 13 Jan 2017 12:30:44 +0000 http://localhost/sabrangv4/2017/01/13/tailakaa-maanjhai-sahaadata-daivasa-vaisaesa-bhaarataiya-savaadhainataa-sangaraama-kae/ नई दिल्ली। तिलका माँझी उर्फ जाबरा पहाड़िया को देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामी और शहीद कहा जाता है। तिलका माँझी ने अंग्रेज़ी शासन की बर्बरता और जघन्य कार्यों के विरुद्ध ज़ोरदार तरीके से आवाज़ उठायी थी। उन्होने किशोर अवस्था से ही अपने परिवार तथा जाति पर अंग्रेज़ी शासन का अत्याचार देखा था। उस समय गरीब […]

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नई दिल्ली। तिलका माँझी उर्फ जाबरा पहाड़िया को देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामी और शहीद कहा जाता है। तिलका माँझी ने अंग्रेज़ी शासन की बर्बरता और जघन्य कार्यों के विरुद्ध ज़ोरदार तरीके से आवाज़ उठायी थी। उन्होने किशोर अवस्था से ही अपने परिवार तथा जाति पर अंग्रेज़ी शासन का अत्याचार देखा था। उस समय गरीब आदिवासियों की भूमि, खेती, पर अंग्रेज़ी शासक अपना अधिकार जमाए हुए थे। आदिवासियों और पर्वतीय सरदारों की लड़ाई रह-रहकर अंग्रेज़ी सत्ता से हो जाती थी लेकिन पर्वतीय जमींदार वर्ग हमेशा अंग्रेज़ी शासन का खुलकर साथ देते थे।

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इस सब से परेशान होकर तिलका मांझी ने 'बनैचारी जोर' नामक स्थान से अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह शुरू किया। उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लंबी और कभी न समर्पण करने वाली लड़ाई लड़ी और स्थानीय महाजनों-सामंतों व अंग्रेजी शासक की नींद उड़ाए रखी। तिलका माँझी मुंगेर, भागलपुर, संथाल परगना के पर्वतीय इलाकों में छिप-छिप कर अंग्रेज़ी शासक के साथ लगातार संघर्ष करते रहे।
 
माँझी ने 1778 में पहाड़िया सरदारों से मिलकर रामगढ़ कैंप पर कब्जा करने वाले अंग्रेजों को खदेड़ कर कैंप को मुक्त कराया। 13 जनवरी, 1784 को तिलका माँझी ने भागलपुर में एक ताड़ के पेड़ पर चढ़ कर भागलपुर राजमहल के सुपरिटेंडेंट क्लीव लैंड को तीरों से मार गिराया। बाद में आयरकुट के नेतृत्व में तिलका की गुरिल्ला सेना पर जबरदस्त हमला कर मांझी को गिरफ्तार कर लिया गया। बताया जाता है कि अंग्रेज माँझी को चार घोड़ों में बांधकर घसीटते हुए भागलपुर लाए। मीलों घोड़ों से घसीटे जाने के बावजूद वह जीवित थे। खून में डूबी माँझी की देह तब भी गुस्सैल थी और उसकी लाल-लाल आंखें अग्रेंजी शासक को डरा रही थीं। भय से कांपते हुए अंग्रेजों ने तब भागलपुर के चौराहे पर स्थित एक विशाल वटवृक्ष पर सरेआम उन्हे फ़ांसी दे दी। तिलका मांझी ऐसे प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने देश को अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से मुक्त कराने के लिए सबसे पहले आवाज़ उठाई थी। तिलका मांझी भारत माता के अमर सपूत के रूप में सदा याद किये जाते रहेंगे।

Courtesy: National Dastak
 

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