udham singh relatives | SabrangIndia News Related to Human Rights Wed, 04 Jan 2017 10:34:15 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png udham singh relatives | SabrangIndia 32 32 उधम सिंह के परपोते को चपरासी की नौकरी पाने के लिए करना पड़ रहा है संघर्ष https://sabrangindia.in/udhama-sainha-kae-parapaotae-kao-caparaasai-kai-naaukarai-paanae-kae-laie-karanaa-pada/ Wed, 04 Jan 2017 10:34:15 +0000 http://localhost/sabrangv4/2017/01/04/udhama-sainha-kae-parapaotae-kao-caparaasai-kai-naaukarai-paanae-kae-laie-karanaa-pada/ ऐसे समय में जब राष्ट्रीय बहस में राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर जोर है, तब महान क्रांतिकारी उधम सिंह के प्रपौत्र पंजाब सरकार से चपरासी की नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने करीब 10 साल पहले उन्हें यह नौकरी देने का वादा किया था। photo courtesy: PTI […]

The post उधम सिंह के परपोते को चपरासी की नौकरी पाने के लिए करना पड़ रहा है संघर्ष appeared first on SabrangIndia.

]]>
ऐसे समय में जब राष्ट्रीय बहस में राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर जोर है, तब महान क्रांतिकारी उधम सिंह के प्रपौत्र पंजाब सरकार से चपरासी की नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने करीब 10 साल पहले उन्हें यह नौकरी देने का वादा किया था।

उधम सिंह
photo courtesy: PTI

हालांकि कांग्रेस सरकार की ओर से किया गया यह वादा पूरा नहीं सका क्योंकि राज्य में कांग्रेस पार्टी करीब 10 साल से सत्ता से बाहर है। उधम सिंह की बड़ी बहन आस कौर के प्रपौत्र जग्गा सिंह द्वारा शिरोमणि अकाली दल और भाजपा सरकार से बार..बार अपील किए जाने का अभी कोई परिणाम नहीं निकला है।

 

भाषा की खबर के अनुसार,  भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में खूनी दिवस के दौरान उधम सिंह वहां उपस्थित थे। बाद में करीब 21 साल बाद उन्होंने लंदन में माइकल ओ ड्वायर की हत्या कर इस नरसंहार का बदला लिया था। जलियांवाला बाग में कत्लेआम के समय माइकल ओ ड्वायर ही पंजाब का गवर्नर था। बाद में उधम सिंह को हत्या के आरोप में लंदन में फांसी दे दी गयी थी।

जग्गा सिंह इस समय अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ बेहद गरीबी में जीवन गुजार रहे हैं। इसके अलावा उन्हें 60 वर्षीय पिता जीत सिंह की देखभाल भी करनी पड़ती है। वह एक दिहाड़ी मजदूर हैं।

तीस वर्षीय जग्गा सिंह दसवीं तक पढ़े हैं और 2,500 रपये मासिक की तनख्वाह पर संगूर की एक कपड़ा दुकान में काम करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह उनके पत्रों पर ध्यान देंगे।

सिंह अब इस कड़ाके की और धुंध भरी सर्दी में अपने विरोध को यहां जंतर मंतर तक ले आए हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता के गलियारों में उनकी आवाज जरूर सुनी जाएगी। हालांकि अभी तक केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा अथवा पंजाब में सत्तारूढ़ शिअद-भाजपा से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है ।
 

The post उधम सिंह के परपोते को चपरासी की नौकरी पाने के लिए करना पड़ रहा है संघर्ष appeared first on SabrangIndia.

]]>