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तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सबूत नहीं फिर भी लग रहे आरोपों के नमक-मिर्च

गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद पर दो ट्रस्टों के फंड में गबन का आरोप लगाते हुए शपथपत्र दाखिल किया है। लेकिन जवाबी दावे में दोनों ने इसका जोरदार खंडन किया है। तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद का कहना है कि इस मामले में दोनों के खिलाफ रत्ती भर भी सबूत नहीं है लेकिन उन को झूठे आरोपों में घेरने की कोशिश हो रही है।

2 दिसंबर , 2016
 
प्रेस रिलीज
 
मीडिया के एक वर्ग में ऐसी खबरें आ रही हैं कि गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दाखिल किया है। शपथपत्र में दोनों पर  2002 के गुजरात नरसंहार में बच गए लोगों के लिए बनाए गए ट्रस्ट के 9.75 करोड़ रुपये में से 3.85 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाया गया है। 

लेकिन सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) और सबरंग ट्रस्ट के ट्रस्टियों और जावेद आनंद और तीस्ता सीतलवाड़ दोनों ने (दोनों इन दोनों स्वतंत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी बोर्ड में शामिल है) बार-बार और जोर देकर इन आरोपों का खंडन किया है। इनका कहना है कि दोनों पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित हैं। हम भी ट्रस्टियों के इस दलील को एक बार फिर दोहरा रहे हैं।

तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद पर अपने आरोपों को दोहराने के क्रम में गुजरात पुलिस सबूतों को नहीं देख रही है। दोनों पर गुजरात के 2002 के नरसंहार में बच गए लोगों के कल्याण के लिए बनाए गए ट्रस्ट के 9.75 करोड़ रुपये में से लगभग 3.85 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाया जा रहा है। लेकिन ऐसा करते वक्त वह इन आरोपों के जवाब में दोनों की ओर से पेश किए गए 20,000 पेज के दस्तावेजी सबूतों को नजरअंदाज कर रही है। पुलिस के पास अपने आरोप के समर्थन में रत्ती भर भी सबूत नहीं है फिर भी वह तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद के खिलाफ आरोपों की री-साइकिलिंग में लगी है।

तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों के खिलाफ भारी-भरकम दस्तावेजी सबूत के साथ ही पुलिस और अदालतों के सामने उन दानदाता एजेंसियों के अऩुदान समझौतों को भी पेश किया है। इनमें साफ तौर पर इस बात का जिक्र है संबंधित अवधि के दौरान न तो सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस और न ही सबरंग ट्रस्ट ने हासिल अऩुदान/दान के लिए कभी आवेदन किया और न ही उसका इरादा 2002 के गुजरात नरसंहार के शिकार या इसमें बचे लोगों के लिए किसी प्रकार की वित्तीय सहायता हासिल करने का इरादा रहा।

सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने गुजरात नरसंहार के शिकार और गवाहों को  न्याय और दोषियों को सजा दिलाने का बीड़ा उठाया था। इस सिलसिले में सीजेपी ने इस नरसंहार में बचे लोगों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए अऩुदान/दान के लिए आवेदन/अपील की थी।
 
मुंबई और गुजरात की निचली अदालतों (बेस्ट बेकरी कांड में), गुजरात हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात नरसंहार में बच गए लोगों के पक्ष में जो अभूतपूर्व और ऐतिहासिक फैसला दिया उसके संदर्भ में संगठन की ओर से निभाई गई भूमिका पर सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस की भूमिका से इसके ट्रस्टी पूरी तरह संतुष्ट है।
 
वर्ष 2008 में सबरंग ट्रस्ट ने अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी के सदस्यों की सहमति से गुलबर्ग रेजिस्टेंस मेमोरियल बनाने के लिए फंड जुटाने की जरूर कोशिश की थी। लेकिन पर्याप्त फंड न जुटने की वजह से 2012 में इस परियोजना को छोड़ना पड़ा। इस मेमोरियल के लिए 4.6 लाख का फंड जुटा था। यह राशि अब भी ट्रस्ट की ऑडिट हुई बैलेंसशीट में दान और इस्तेमाल न हुए फंड के तौर पर चिन्हित है।
 
इन तथ्यों के मद्देनजर दोनों ट्रस्टों पर 2002 के नरसंहार में बचे लोगों के नाम पर भारी फंड उगाहने के आरोपों में कोई दम नहीं है। इस आरोप में कोई दम नहीं है कि उनके नाम पर काफी फंड इकट्ठा किया गया और उन्हें कुछ नहीं मिला। ये आरोप बेबुनियाद हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद ने इकट्ठा किए गए फंड का भारी हिस्सा खा लिया।  
 
अप्रैल, 2014 में गुजरात पुलिस के नोटिस के जवाब में दोनों स्वतंत्र (सीजेपी और सबरंग ट्रस्ट) ट्रस्टों के ऑडिटरों ने पुलिस के सामने खास तौर पर यह कहा कि उन्हें न तो वार्षिक ऑडिट और न पुलिस नोटिस के बाद संबंधित ट्रस्टों के बही-खातों और दस्तावेजों की दोबारा जांच के दौरान कोई अनिमयमितता मिली।
 
गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में जो मौजूदा शपथपत्र दाखिल किया है, वह सीजेपी और सबरंग ट्रस्ट, तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद की ओर से दोनों ट्रस्टों और अपने निजी बैंक खातों पर लगाई गई पाबंदी को खत्म करने के लिए दायर अलग-अलग याचिकाओं का जवाबी कदम है। जनवरी, 2014 में गुजरात पुलिस के एक गैरकानूनी आदेश के बाद इन खातों पर पाबंदी लगा दी गई थी।
 
गुजरात पुलिस के इस शपथपत्र में इस बार एक ही नई चीज है। गुजरात पुलिस अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से सबरंग ट्रस्ट को मिले अनुदान की राशि में गबन का आरोप लगा रही है। हम इस नए और पहले ही की तरह बेबुनियाद इस आरोप का पुरजोर विरोध करते हैं। हमारी अब तक की जानकारी में खुद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अब तक ऐसा कोई दावा नहीं किया है।

तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद और दो ट्रस्ट ( सीजेपी और सबरंग ट्रस्ट) गुजरात पुलिस के लगाए हर आरोप का विस्तृत जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं। वे अपने ऊपर लगाए गए हर आरोप का जवाब तैयार कर रहे हैं। आने वाले दिनों में उनके जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए जाएंगे।
 
इस बयान के साथ हमने चार्ट भी संलग्न किया है, जिसमें संबंधित अवधि में सीजेपी और सबरंग ट्रस्ट को मिले फंड और उसके इस्तेमाल का ब्योरा है।
 

तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद
                            

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