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उधर, सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न इधर, सैनिकों की पेंशन पर चोट

30 सितंबर, को जब सारा भारत सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न मनाने में मशगूल था उसी दिन रक्षा मंत्रालय ने एक नोटिस जारी किया। नोटिस के मुताबिक लड़ाई या खतरनाक मिशनों में घायल होने के बाद सेना से बाहर हो चुके सैनिकों की विकलांगता पेंशन घटा दी गई है।

Injured Army jawan
Image: Sanjeev Pearl

पिछले महीने की 28 तारीख को जिस वक्त हमारे पैरा कमांडो एलओसी पार कर देश के दुश्मनों के सबक सिखाने के मिशन पर थे ठीक उसी वक्त मोदी सरकार चुपचाप वतन की हिफाजत में अपना अंग खोने वाले सिपाहियों की पेंशन में कटौती करने की योजना को आखिरी शक्ल देने में लगी थी।

30 सितंबर, को जब सारा भारत सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न मनाने में मशगूल था उसी दिन रक्षा मंत्रालय ने एक नोटिस जारी किया। नोटिस के मुताबिक लड़ाई या खतरनाक मिशनों में घायल होने के बाद सेना से बाहर हो चुके सैनिकों की विकलांगता पेंशन घटा दी गई थी।

यह अच्छी बात रही कि हमारे कमांडो बगैर किसी नुकसान के सर्जिकल स्ट्राइक से  वापस आ गए। लेकिन अगर, मिलिट्री शब्दावली में इस ऑपरेशन में कोई युवा सैनिक ‘100 फीसदी विकलांग’ हो कर सेना से बाहर हो जाता तो उसके हाथ 45,200 रुपये की जगह 27,200 रुपये की मासिक पेंशन ही आती। यानी सीधे-सीधे हर महीने 18,000 रुपये की कटौती।

नए पेंशन नियमों के मुताबिक सबसे ज्यादा मार इस तरह के सर्जिकल अटैक का नेतृत्व करने वाले टीम लीडरों पर पड़ी है। पूरी तरह विकलांग होकर सेना से बाहर हो जाने की स्थिति में इन सैनिकों की मासिक पेंशन में सीधे 70000 रुपये से ज्यादा की कटौती हो जाएगी। आर्मी की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले जूनियर कमीशंड अफसरों को इन स्थितियों में भारी घाटा उठाना पड़ेगा। 26 साल के अनुभव वाले नायब सूबेदार की मासिक पेंशन में 40000 रुपये की कटौती हो जाएगी।

सेना के एक टॉप जनरल ने कहा कि अगर हम कहें कि सरकार के इस फैसले से हम  हक्के-बक्के रह गए तो भी यह कम है। रक्षा मंत्रालय को तो हमारे साथ इस सर्जिकल स्ट्राइक के जश्न में शामिल होना चाहिए था लेकिन पेंशन काट कर उसने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है।

सर्जिकल स्ट्राइक बीजेपी के लिए चार विधानसभा चुनावों में वोट खींच सकती है। लिहाजा पार्टी इसका जश्न मना रही है। लेकिन सेना से जो खबरें छन कर आ रही हैं, उनके मुताबिक पेंशन कटौती के दायरे में सिर्फ लड़ाई के दौरान होने वाली स्थायी विकलांगता ही शामिल नहीं है। सरकार ने मिलीट्री सर्विस के दौरान होने वाली मेडिकल डिजेबिलीटी या शारीरिक हालात खराब होने की स्थित में दी जाने वाली पेंशन भी घटा दी है। मिलिट्री सर्विस के दौरान होने वाली विकलांगता या बीमारी में ट्रेनिंग के दौरान होने वाली दुर्घटना, ज्यादा ऊंचाई पर पैराशूटिंग की वजह से सांस संबंधी बीमारी और बर्फीले इलाके में तैनाती से अंगों को नुकसान पहुंचने जैसी परिस्थितियां शामिल हैं।

आर्मी पर सरकार ने यह बम एक ड्राफ्ट गजट नोटिफेशन के जरिये गिराया है। इसमें 2006 में आए छठे वेतन आयोग के आधार पर बनाई गई व्यवस्था खत्म कर दी गई है। इस व्यवस्था के तहत पेंशन लड़ाई या मिलिट्री सर्विस में विकलांगता या फिर शारीरिक स्थिति खराब होने पर मिलती थी और इसकी गणना सैनिकों के अंतिम वेतन के पर्सेंटेज बेसिस पर होती थी।

अब कुछ गैर निर्दिष्ट नियमों के आधार पर विकलांगता पेंशन उस कम उदार स्लैब सिस्टम पर निर्धारित होगी, जो पहले मौजूद था। सातवें वेतन आयोग ने इसकी सिफारिश की थी और सरकार ने इसे भी मान लिया। अब इसी पुराने स्लैब के आधार पर ही यह पेंशन निर्धारित होगी।

30 सितंबर की अधिसूचना से पहले तक लड़ाई के मैदान में पूरी तरह विकलांगता की स्थिति में सैनिकों को उनके आखिरी वेतन के बराबर पेंशन मिलती थी। इसके अलावा वे पेंशन का सर्विस कंपोनेंट भी लेते थे, जो उनके आखिरी वेतन का पचास फीसदी होता था। 
 
अब  1 जनवरी , 2016 की पिछली तारीख से लागू होने वाले नए नियम के मुताबिक पेंशन का सर्विस कंपोनेंट (आखिरी वेतन का 50 फीसदी) तो बरकरार रहेगा लेकिन विकलांगता पेंशन में जो स्लैब सिस्टम शुरू किया गया है वह पर्सेंटेज सिस्टम के आधार पर मिलने वाली रकम से कम है। स्लैब इस तरह है – अफसरों के लिए हर महीने 27000 रुपये। जूनियर कमीशंड अफसरों के लिए 17000 रुपये और दूसरे अन्य रैंक के अफसरों के लिए 12000 रुपये।
पांच साल तक सेना में नौकरी करने वाले सिपाही को हर महीने 30,400 रुपये वेतन मिलते हैं। 100 फीसदी विकलांगता की स्थिति में पहले के नियम के हिसाब से उसे इतनी ही मासिक पेंशन मिलती। लेकिन अब उसे 12,000 रुपये की ही एकमुश्त रकम मिलेगी। दस साल सेना की नौकरी करने वाले एक मेजर का वेतन 98,300 रुपये है। सौ फीसदी विकलांग हो जाने की स्थिति में उसे पहले के हिसाब से इतनी ही मासिक पेंशन मिलती। लेकिन अब उसे हर महीने सिर्फ 27,000 रुपये ही मिलेंगे।

कम या आंशिक विकलांगता की स्थिति में पेंशन की गणना प्रो-राटा बेसिस पर होती है। लड़ाई में घायल होने के अलावा सभी तरह की विकलांगता मिलिट्री सर्विस की विकलांगता मानी जाती है। इस तरह की पेंशन पर भी मार पड़ी है।

नए नियमों के मुताबिक मिलिट्री सर्विस के दौरान होने वाली विकलांगता या खराब शारीरिक हालात के एवज में मिलने वाली पेंशन गणना में सीनियर सिपाही की पेंशन हर महीने 2040 रुपये घट जाएगी। जबकि सुबेदार की पेंशन 3472 रुपये की कम हो जाएगी। लेफ्टिनेंट कर्नल की पेंशन 6, 855 रुपये कम हो जाएगी।

साभार  अजय शुक्ला , बिजनैस स्टैंडर्ड

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