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उना पीड़ितों ने ठुकराया आरएसएस और बीजेपी का ऑफर

उना। यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए बीजेपी तरह-तरह की चालें चल रही है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दलितों पर पहले से ज़्यादा ध्यान फोकस करके उन्हें बरगलाना चाहते थे। उनकी इसी चाल के तहत ऊना कांड के जिन चार दलितों की पिटाई हुई थी। आरएसएस और बीजेपी उन्हें अपने साथ लाने की बात कह रही थी। लेकिन उनमें से दो के पिता ने आरएसएस के दावों को खारिज कर दिया है।


 
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े दलित समूह, "भारतीय बौद्ध संघ" ने इन चारों दलित युवकों को अपने 'दलित जागरूकता' अभियान में जोड़ने का दावा किया था। आरआरएस के वरिष्ठ विचारक राकेश सिन्हा ने बीबीसी से इन लोगों के अपने अभियान में शामिल होने की बात कही थी। लेकिन चार में से जिन दो दलित युवकों, रमेश और वैषराम की पिटाई हुई थी, उनके पिता बालुभाई सेनमा ने इस बात से इनकार कर दिया है।
 
उन्होंने कहा, "ये बिल्कुल गलत बात है। मेरे बेटों समेत इन चारों में से कोई भी उत्तर प्रदेश जाकर इस तरह के किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं लेने वाला है।" उन्होंने कहा कि उनके बेटे गुजरात में कहीं रह रहे हैं और वे बीजेपी या आरएसएस के किसी कार्यक्रम में यूपी नहीं जाएंगे।

गौरतलब है कि इसी साल गुजरात में वेरावल के उना गांव में कथित तौर पर जानवर का चमड़ा उतारने के मामले में चार दलित युवकों की गौरक्षकों ने सामूहिक पिटाई की थी। एक तरफ मामले की जांच गुजरात सीआईडी कर रही है तो दूसरी तरफ प्रदेश में इस तरह की कुछ दूसरी घटनाओं पर भाजपा सरकार को सफ़ाई देनी पड़ी है। इन हमलों के बाद संघ परिवार की तरफ से कोशिशें हो रही हैं कि ज्यादा से ज्यादा दलितों को हिंदू धर्म की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।
 
उत्तर प्रदेश में 2017 में विधान सभा चुनाव होने हैं और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अभी तक दिखी रणनीति में दलित समुदाय पर पहले से ज़्यादा ध्यान देने की बात साफ़ है। बीजेपी यूपी चुनाव में दलितों के वोट के लिए उन्हें लुभाने को उतावली है।
 

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