ये क्या मचा है मध्य प्रदेश के अस्पतालों में

टीकमगढ़, म.प्र.: ओडीशा के दीना माँझी की तरह मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में पप्पू पाल को भी अपने बेटे की लाश कंधे पर ढोनी पड़ी। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उसके बेटे की मौत हो गई जिसके बाद शव को गाँव तक ले जाने के लिए उसे एंबुलेंस नहीं दी गई।  मजबूर बाप अपने बेटे की लाश को कंबल में लपेटकर ही चल पड़ा।


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डॉक्टरों ने पहले तो उससे दो घंटे तक इंतजार करवाया और फिर कह दिया कि शव वाहन का ड्राइवर नहीं है। बाद में घरवालों ने किसी तरह से एक बाइक का इंतजाम किया और उस पर रखकर शव को गांव ले गए। जतारा तहसील के कमलनगर निवासी पप्पू पाल ने रविवार रात को दस बजे अपने बेटे देवेंद्र पाल को अस्पताल में भर्ती कराया था। पप्पू पाल ने अस्पताल स्टाफ पर आरोप लगाया कि अगर सही समय पर देवेंद्र को इलाज मिला होता तो शायद वो आज हमारे साथ होता।

टीकमगढ़ के जिला अस्पताल में लापरवाही की यह पहली घटना नहीं है। सिविल सर्जन आर एस दंडोतिया को तो पूरे मामले की जानकारी ही नहीं है।
 
दरअसल पूरा जिला अस्पताल ही बदइंतजामी की मिसाल है।  इस जिला अस्पताल में चिकनगुनिया और अन्य रोगों से पीड़ित दर्जनों मरीजों को बिस्तर नहीं मिल रहे हैं। जमीन पर लिटककर इनका इलाज किया जा रहा है। वहीं इलाज के दौरान शवों को शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। केनवार गांव के दो दर्जन से ज्यादा मरीज जिला अस्पताल में भर्ती हैं। सभी मरीजों में चिकनगुनिया जैसे लक्षण वाली बीमारी की शिकायत है, लेकिन अस्पताल में मरीजों को बेड तक उपलब्ध नहीं कराए गए।

पीड़ित मरीज एक ओर बुखार से परेशान हैं, वहीं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने से उनकी समस्या बढ़ गई है। केनवार गांव की 28 वर्षीय आशा यादव ने बताया कि रविवार रात उसे तेज बुखार के साथ हाथ पैर में दर्द की शिकायत होने लगी। सोमवार सुबह अस्पताल इलाज कराने आई, लेकिन यहां जमीन पर लिटा दिया गया।
 

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